मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप आये हैं कांटों को फूल बनाने, सबसे बड़ा कांटा है देह-अभिमान,
प्रश्न:- भक्तों ने बाप के किस कर्त्तव्य को न समझने के कारण सर्वव्यापी कह दिया है?
उत्तर:- बाप बहुरूपी है, जहाँ आवश्यकता होती सेकण्ड में किसी भी बच्चे में प्रवेश कर सामने
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) लायक और समझदार बनने के लिए पवित्र बनना है। सारी दुनिया को हेल से हेविन बनाने के
2) कलियुगी दुनिया की रस्म-रिवाज, लोक-लाज, कुल की मर्यादा छोड़ सत्य मर्यादाओं का पालन
वरदान:- सत्यता के फाउण्डेशन द्वारा चलन और चेहरे से दिव्यता की अनुभूति कराने वाले सत्यवादी भव
दुनिया में अनेक आत्मायें अपने को सत्यवादी कहती वा समझती हैं लेकिन सम्पूर्ण सत्यता पवित्रता
स्लोगन:- बेहद की सेवा में बिजी रहो तो बेहद का वैराग्य स्वत: आयेगा।
इससे ही सब विकार आते हैं, इसलिए देही-अभिमानी बनो''
प्रश्न:- भक्तों ने बाप के किस कर्त्तव्य को न समझने के कारण सर्वव्यापी कह दिया है?
उत्तर:- बाप बहुरूपी है, जहाँ आवश्यकता होती सेकण्ड में किसी भी बच्चे में प्रवेश कर सामने
वाली आत्मा का कल्याण कर देते हैं। भक्तों को साक्षात्कार करा देते हैं। वह सर्वव्यापी नहीं लेकिन
बहुत तीखा राकेट है। बाप को आने-जाने में देरी नहीं लगती। इस बात को न समझने के कारण
भक्त लोग सर्वव्यापी कह देते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) लायक और समझदार बनने के लिए पवित्र बनना है। सारी दुनिया को हेल से हेविन बनाने के
लिए बाप के साथ सर्विस करनी है। खुदाई खिदमतगार बनना है।
2) कलियुगी दुनिया की रस्म-रिवाज, लोक-लाज, कुल की मर्यादा छोड़ सत्य मर्यादाओं का पालन
करना है। दैवीगुण सम्पन्न बन दैवी सम्प्रदाय की स्थापना करनी है।
वरदान:- सत्यता के फाउण्डेशन द्वारा चलन और चेहरे से दिव्यता की अनुभूति कराने वाले सत्यवादी भव
दुनिया में अनेक आत्मायें अपने को सत्यवादी कहती वा समझती हैं लेकिन सम्पूर्ण सत्यता पवित्रता
के आधार पर होती है। पवित्रता नहीं तो सदा सत्यता नहीं रह सकती। सत्यता का फाउण्डेशन पवित्रता
है और सत्यता का प्रैक्टिकल प्रमाण चेहरे और चलन में दिव्यता होगी। पवित्रता के आधार पर सत्यता
का स्वरूप स्वत: और सहज होता है। जब आत्मा और शरीर दोनों पावन होंगे तब कहेंगे सम्पूर्ण
सत्यवादी अर्थात् दिव्यता सम्पन्न देवता।
स्लोगन:- बेहद की सेवा में बिजी रहो तो बेहद का वैराग्य स्वत: आयेगा।