18-05-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:02-01-78 मधुबन
ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों की रिमझिम
वरदान:- साक्षी हो कर्मेन्द्रियों से कर्म कराने वाले कर्तापन के भान से मुक्त, अशरीरी भव
जब चाहो शरीर में आओ और जब चाहो अशरीरी बन जाओ। कोई कर्म करना है तो
स्लोगन:- विश्व राजन बनना है तो विश्व को सकाश देने वाले बनो।
ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों की रिमझिम
वरदान:- साक्षी हो कर्मेन्द्रियों से कर्म कराने वाले कर्तापन के भान से मुक्त, अशरीरी भव
जब चाहो शरीर में आओ और जब चाहो अशरीरी बन जाओ। कोई कर्म करना है तो
कर्मेन्द्रियों का आधार लो लेकिन आधार लेने वाली मैं आत्मा हूँ, यह नहीं भूले, करने
वाली नहीं हूँ, कराने वाली हूँ। जैसे दूसरों से काम कराते हो तो उस समय अपने को अलग
समझते हो, वैसे साक्षी हो कर्मेन्द्रियों से कर्म कराओ, तो कर्तापन के भान से मुक्त अशरीरी
बन जायेंगे। कर्म के बीच-बीच में एक दो मिनट भी अशरीरी होने का अभ्यास करो तो
लास्ट समय में बहुत मदद मिलेगी।
स्लोगन:- विश्व राजन बनना है तो विश्व को सकाश देने वाले बनो।