मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप समान रहमदिल बनो, रहमदिल बच्चे सबको दु:खों से
प्रश्न:- सारी दुनिया की मांग क्या है? जो बाप के सिवाए कोई पूरी नहीं कर सकता?
उत्तर:- सारी दुनिया की मांग है शान्ति और सुख मिले। सभी बच्चों की पुकार सुनकर
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान रहमदिल बनना है। सबको दु:खों से छुड़ा कर पतित से पावन बनाने की
2) बाप कहते हैं जिन रोया तिन खोया इसलिए कैसी भी परिस्थिति हो तुम्हें रोना नहीं है।
वरदान:- सेवा और स्व पुरूषार्थ के बैलेन्स द्वारा ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले कर्मयोगी भव
कर्मयोगी अर्थात् कर्म के समय भी योग का बैलेन्स हो। सेवा अर्थात् कर्म और स्व पुरूषार्थ
स्लोगन:- नज़र से निहाल करने की सेवा करनी है तो बापदादा को अपनी नज़रों में समा लो।
छुड़ाकर पतित से पावन बनाने की सेवा करेंगे''
प्रश्न:- सारी दुनिया की मांग क्या है? जो बाप के सिवाए कोई पूरी नहीं कर सकता?
उत्तर:- सारी दुनिया की मांग है शान्ति और सुख मिले। सभी बच्चों की पुकार सुनकर
बाप आते हैं। बाबा बेहद का है इसलिए उसे बहुत फुरना है कि मेरे बच्चे कैसे दु:खी से
सुखी बनें। बाबा कहते-बच्चे, पुरानी दुनिया भी मेरी है, मेरे ही सब बच्चे हैं, मैं आया हूँ
सबको दु:खों से छुड़ाने। मैं सारी दुनिया का मालिक हूँ, इसे मुझे ही पतित से पावन बनाना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप समान रहमदिल बनना है। सबको दु:खों से छुड़ा कर पतित से पावन बनाने की
सेवा करनी है। पावन बनने के लिए एक बाप से बहुत-बहुत लव रखना है।
2) बाप कहते हैं जिन रोया तिन खोया इसलिए कैसी भी परिस्थिति हो तुम्हें रोना नहीं है।
वरदान:- सेवा और स्व पुरूषार्थ के बैलेन्स द्वारा ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले कर्मयोगी भव
कर्मयोगी अर्थात् कर्म के समय भी योग का बैलेन्स हो। सेवा अर्थात् कर्म और स्व पुरूषार्थ
अर्थात् योगयुक्त - इन दोनों का बैलेन्स रखने के लिए एक ही शब्द याद रखो कि बाप
करावनहार है और मैं आत्मा करनहार हूँ। यह एक शब्द बैलेन्स बहुत सहज बनायेगा
और सर्व की ब्लैसिंग मिलेगी। जब करनहार के बजाए अपने को करावनहार समझ लेते
हो तो बैलेन्स नहीं रहता और माया अपना चांस ले लेती है।
स्लोगन:- नज़र से निहाल करने की सेवा करनी है तो बापदादा को अपनी नज़रों में समा लो।