Friday, May 16, 2014

Murli-[16-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - विश्व की सभी आत्मायें अन्जान और दु:खी हैं, आप उन पर उपकार करो, 
बाप का परिचय देकर खुशी में लाओ, उनकी आंखे खोलो'' 

प्रश्न:- किसी भी सेन्टर की वृद्धि का आधार क्या है? 
उत्तर:- नि:स्वार्थ सच्चे दिल की सेवा। तुम्हें सर्विस का सदा शौक रहे तो हुण्डी भरती रहेगी। जहाँ पर 
सर्विस हो सकती है वहाँ प्रबन्ध करना चाहिए। मांगना किसी से भी नहीं है। मांगने से मरना भला। 
आपेही सब कुछ आयेगा। तुम बाहर वालों की तरह चन्दा इकट्ठा नहीं कर सकते। मांगने से सेन्टर 
जोर नहीं भरेगा इसलिए बिगर मांगे सेन्टर को जमाओ। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ज्ञान को जीवन में धारण कर खुशी में गदगद होना है। वन्डरफुल ज्ञान और ज्ञान दाता का सिमरण 
कर ज्ञान डांस करना है। 

2) अपने पार्ट का ही सिमरण करना है, दूसरों के पार्ट को नहीं देखना है। माया बड़ी प्रबल है इसलिए 
खबरदार रहना है। अपनी उन्नति में लगे रहो। सर्विस का शौक रखो। 

वरदान:- परखने की शक्ति द्वारा बाप को पहचानकर अधिकारी बनने वाले विशेष आत्मा भव 

बापदादा हर बच्चे की विशेषता देखते हैं, चाहे सम्पूर्ण नहीं बने हैं, पुरूषार्थी हैं लेकिन ऐसा एक भी बच्चा नहीं 
जिसमें कोई विशेषता न हो। सबसे पहली विशेषता तो कोटो में कोई की लिस्ट में हो। बाप को पहचानकर 
मेरा बाबा कहना और अधिकारी बनना ये भी बुद्धि की विशेषता है, परखने की शक्ति है। इस श्रेष्ठ शक्ति ने 
ही विशेष आत्मा बना दिया। 

स्लोगन:- श्रेष्ठ भाग्य की रेखा खींचने का कलम है श्रेष्ठ कर्म, इसलिए जितना चाहे उतना भाग्य बना लो।