Wednesday, May 7, 2014

Murli-[7-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप है सर्व सम्बन्धों के प्यार की सैक्रीन, एक मीठे माशुक को याद 
करो तो बुद्धि सब तरफ से हट जायेगी'' 

प्रश्न:- कर्मातीत बनने का सहज पुरूषार्थ वा युक्ति कौन-सी है? 
उत्तर:- भाई-भाई की दृष्टि को पक्का करने का पुरूषार्थ करो। बुद्धि से एक बाप के सिवाए और सब 
कुछ भूल जाये। कोई भी देहधारी सम्बन्ध याद न आये तब कर्मातीत बनेंगे। अपने को आत्मा 
भाई-भाई समझना - यही पुरूषार्थ की मंज़िल है। भाई-भाई समझने से देह की दृष्टि, विकारी 
ख्यालात ख़त्म हो जायेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सतयुग में फर्स्टक्लास सुन्दर शरीर प्राप्त करने के लिए अभी आत्मा को पावन बनाना है, 
कट उतार देनी है। आर्टीफिशल फैशन नहीं करना है। 

2) एवर पवित्र बनने के लिए प्रैक्टिस करनी है कि एक बाप के सिवाए कुछ भी याद न आये। 
यह देह भी भूली हुई हो। भाई-भाई की दृष्टि नैचुरल पक्की हो। 

वरदान:- अपने राज्य अधिकारी वा पूज्य स्वरूप की स्मृति से दाता बन देने वाले सर्व खजानों 
से सम्पन्न भव 

सदा इसी स्मृति में रहो कि मैं पूज्य आत्मा औरों को देने वाली दाता हूँ, लेवता नहीं, देवता हूँ। 
जैसे बाप ने आप सबको आपेही दिया है ऐसे आप भी मास्टर दाता बन देते चलो, मांगो नहीं। 
अपने राज्य अधिकारी वा पूज्य स्वरूप की स्मृति में रहो। आज तक आपके जड़ चित्रों से 
जाकर मांगनी करते हैं, कहते हैं हमको बचाओ। तो आप बचाने वाले हो, बचाओ-बचाओ 
कहने वाले नहीं। परन्तु दाता बनने के लिए याद से, सेवा से, शुभ भावना, शुभ कामना से 
सर्व खजानों में सम्पन्न बनो। 

स्लोगन:- चलन और चेहरे की प्रसन्नता ही रूहानी पर्सनैलिटी की निशानी है।