Monday, May 12, 2014

Murli-[12-5-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - इस दु:खधाम को जीते जी तलाक दो क्योंकि 
तुम्हें सुखधाम जाना है'' 

प्रश्न:- बाप बच्चों को कौन-सी एक छोटी सी मेहनत देते हैं? 
उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, काम महाशत्रु है, इस पर विजय प्राप्त करो। यही 
तुम्हें थोड़ी-सी मेहनत देता हूँ। तुम्हें सम्पूर्ण पावन बनना है। पतित से पावन 
अर्थात् पारस बनना है। पारस बनने वाले पत्थर नहीं बन सकते। तुम बच्चे 
अभी गुल-गुल बनो तो बाप तुम्हें नयनों पर बिठाकर साथ ले जायेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप के ऑर्डीनेन्स को पालन करने के लिए हम आत्मा भाई-भाई हैं, भ्रकुटी 
के बीच में हमारा निवास है, हम बेहद बाप के बच्चे हैं, हमारा यह ईश्वरीय परिवार 
है-इस स्मृति में रहना है। देही-अभिमानी बनने की आदत डालनी है। 

2) धर्मराज की सजाओं से छूटने के लिए अपने सब हिसाब-किताब चुक्तू करने हैं। 
माया को वश करने का जो मन्त्र मिला है, उसको याद रखते सतोप्रधान बनना है। 

वरदान:- शुभचिंतन द्वारा निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करने वाले शुभचिंतक भव 

सदा समर्थ रहने के लिए सिर्फ दो शब्द याद रखो - शुभचिंतन और शुभचिंतक। 
शुभचिंतन से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन कर सकते हो। शुभचिंतन और 
शुभचिंतक इन दोनों का आपस में संबंध है। अगर शुभचिंतन नहीं है तो शुभचिंतक 
भी नहीं बन सकते। वर्तमान समय इन दोनों बातों का अटेन्शन रखो क्योंकि बहुत 
सी समस्यायें ऐसी हैं, लोग ऐसे हैं जो वाणी से नहीं समझते लेकिन शुभचिंतक बन 
वायब्रेशन दो तो बदल जायेंगे। 

स्लोगन:- ज्ञान रत्नों से, गुणों और शक्तियों से खेलो, मिट्टी से नहीं।