Tuesday, June 4, 2013

Murli [4-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम सबका प्राण आधार आया है तुम्हें जमघटों के दु:खों की पीड़ा से छुड़ाने, 
वह तुम्हें स्वर्ग का वर्सा देता, वह सर्वव्यापी नहीं है'' 

प्रश्न:- इस राजयोग में कौन-सा योग सदा कम्बाइण्ड है? 
उत्तर:- इस राजयोग में प्रजायोग सदा ही कम्बाइण्ड है क्योंकि राजा-रानी के साथ-साथ प्रजा भी चाहिए। 
अगर सब राजा बन जायें तो किस पर राज्य करेंगे? सब कहते हैं हम महाराजा-महारानी बनेंगे, हम 
राजयोग सीखने आये हैं। परन्तु राजा-रानी बनने के लिए तो बहुत हिम्मत चाहिए। पूरा बल होना चाहिए। 
बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़े तब राजाई में जा सकें। 

गीत:- प्रीतम आन मिलो... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इस अन्तकाल के समय में एक बाप को ही याद करने का अभ्यास करना है। अशरीरी बनना है। 

2) कभी भी कुल कलंकित नहीं बनना है, माया के तूफानों में हिलना नहीं है। सदा हर्षित रहना है। 

वरदान:- अमृतवेले से रात तक याद के विधिपूर्वक हर कर्म करने वाले सिद्धि स्वरूप भव 

अमृतवेले से लेकर रात तक जो भी कर्म करो, याद के विधिपूर्वक करो तो हर कर्म की सिद्धि मिलेगी। सबसे 
बड़े से बड़ी सिद्धि है - प्रत्यक्षफल के रूप में अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होना। सदा सुख की लहरों में, खुशी 
की लहरों में लहराते रहेंगे। तो यह प्रत्यक्षफल भी मिलता है और फिर भविष्य फल भी मिलता है। इस समय 
का प्रत्यक्षफल अनेक भविष्य जन्मों के फल से श्रेष्ठ है। अभी-अभी किया, अभी-अभी मिला - इसको ही कहते 
हैं प्रत्यक्षफल। 

स्लोगन:- स्वयं को निमित्त समझ हर कर्म करो तो न्यारे और प्यारे रहेंगे, मैं पन आ नहीं सकता।