24-06-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''मातेश्वरी'' रिवाइज:24-4-65 मधुबन
(यह महावाक्य मातेश्वरी (मीठी जगदम्बा माँ) के स्मृति दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने हैं)
''ज्ञान का तीसरा नेत्र (विजडम) ही लाइफ में सुख और शान्ति का आधार है''
गीत: आज अन्धेरे में हम इंसान...
वरदान:- दुआ और दवा द्वारा तन-मन की बीमारी से मुक्त रहने वाले सदा सन्तुष्ट आत्मा भव
कभी शरीर बीमार भी हो तो शरीर की बीमारी से मन डिस्टर्ब न हो। सदैव खुशी में नाचते रहो तो
स्लोगन:- विस्तार में भी सार को देखने का अभ्यास करो तो स्थिति सदा एकरस रहेगी।
(यह महावाक्य मातेश्वरी (मीठी जगदम्बा माँ) के स्मृति दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने हैं)
''ज्ञान का तीसरा नेत्र (विजडम) ही लाइफ में सुख और शान्ति का आधार है''
गीत: आज अन्धेरे में हम इंसान...
वरदान:- दुआ और दवा द्वारा तन-मन की बीमारी से मुक्त रहने वाले सदा सन्तुष्ट आत्मा भव
कभी शरीर बीमार भी हो तो शरीर की बीमारी से मन डिस्टर्ब न हो। सदैव खुशी में नाचते रहो तो
शरीर भी ठीक हो जायेगा। मन की खुशी से शरीर को चलाओ तो दोनों एक्सरसाइज हो जायेंगी।
खुशी है दुआ और एक्सरसाइज है दवाई। तो दुआ और दवा दोनों से तन मन की बीमारी से मुक्त हो
जायेंगे। खुशी से दर्द भी भूल जायेगा। सदा तन-मन से सन्तुष्ट रहना है तो ज्यादा सोचो नहीं।
अधिक सोचने से टाइम वेस्ट होता है और खुशी गायब हो जाती है।
स्लोगन:- विस्तार में भी सार को देखने का अभ्यास करो तो स्थिति सदा एकरस रहेगी।