Wednesday, June 26, 2013

Murli [26-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम्हारा है सतोप्रधान सन्यास, तुम देह सहित इस सारी पुरानी दुनिया 
को बुद्धि से भूलते हो'' 

प्रश्न:- तुम ब्राह्मण बच्चों पर कौन सी जवाबदारी बहुत बड़ी है? 
उत्तर:- तुम्हारे पर जवाबदारी है पावन बनकर सारे विश्व को पावन बनाने की। इसके लिए तुम्हें 
निरन्तर शिवबाबा को याद करते रहना है। याद ही योग अग्नि है जिससे आत्मा पावन बनती है। 
विकर्म विनाश हो जाते हैं। 

गीत:- दु:खियों पर रहम करो... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) निरन्तर एक बाप की याद से मायाजीत जगतजीत बनना है। पवित्र बनकर भारत को पवित्र बनाना है। 

2) बुद्धि से बेहद पुरानी दुनिया का सन्यास करना है। इस देह-भान को भूलने का अभ्यास करना है। 
देही-अभिमानी रहना है। 

वरदान:- माया को दुश्मन के बजाए पाठ पढ़ाने वाली सहयोगी समझ एकरस रहने वाले मायाजीत भव

माया आती है आपको पाठ पढ़ाने के लिए, इसलिए घबराओ नहीं, पाठ पढ़ लो। कभी सहनशीलता का पाठ, 
कभी शान्त स्वरूप बनने का पाठ पक्का कराने के लिए ही माया आती है इसलिए माया को दुश्मन के बजाए 
अपना सहयोगी समझो तो घबराहट में हार नहीं खायेंगे, पाठ पक्का करके अंगद के समान अचल बन जायेंगे। 
कभी भी कमजोर बन माया का आह्वान नहीं करो तो वह विदाई ले लेगी। 

स्लोगन:- हर संकल्प में दृढ़ता की महानता हो तो सफलता मिलती रहेगी।