Wednesday, June 5, 2013

Murli [5-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-सर्विस की नई-नई युक्तियाँ निकालते रहो। भारत को दैवी स्वराज्य 
बनाने में बाप का पूरा-पूरा मददगार बनो'' 

प्रश्न:- बाप बच्चों को कौन-सी स्मृति दिलाकर एक आश रखते हैं? 
उत्तर:- बाबा स्मृति दिलाते-बच्चे, तुम कल्प-कल्प मायाजीत जगतजीत बने हो। तुमने 
मात-पिता के तख्त पर जीत पाई है इसलिए अभी तुम्हें माया के तूफानों से डरना नहीं है। 
कभी भी माया के वश होकर कुल कलंकित नहीं बनना है। लाडले बच्चे, इस बूढ़े बाप की दाढ़ी 
की लाज रखना। ऐसा कोई काम न हो जो बाप का नाम बदनाम हो जाये। तुम योग बल से 
विकारों को भगाते रहो, बाप समान निराकारी, निरहंकारी बनो। 

गीत:- दर पर आये हैं कसम ले के... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) हरेक के पुरुषार्थ को साक्षी हो देखते, स्वयं 8 घण्टे तक बाप की याद में रहने का अभ्यास करना है। 

2) बाप समान रूप बसन्त बन विचार सागर मंथन कर ज्ञान दान देना है। अन्धों की लाठी बनना है। 

वरदान:- मेरे पन को छोड़ ट्रस्टी बन सेवा करने वाले सदा सन्तुष्ट आत्मा भव 

लौकिक परिवार में रहते, सेवा करते सदा याद रहे कि मैं ट्रस्टी हूँ, सेवाधारी हूँ। सेवा करते जरा भी 
मेरापन न हो तब सन्तुष्ट रहेंगे। जब मेरापन आता है तब तंग होते हो, सोचते हो मेरा बच्चा ऐसे करता है... 
तो जहाँ मेरापन है वहाँ तंग होते और जहाँ तेरा-तेरा आया वहाँ तैरने लगेंगे। तेरा-तेरा कहना माना 
स्वमान में रहना, मेरा-मेरा कहना माना अभिमान में आना। 

स्लोगन:- बुद्धि में हर समय बाप और श्रीमत की स्मृति हो तब कहेंगे दिल से समर्पित आत्मा।