Saturday, June 22, 2013

Murli [22-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अशरीरी बनने की ड्रिल नम्बरवन ड्रिल है, इससे वायुमण्डल में सन्नाटा छा 
जाता है, बाप का डायरेक्शन है - इसी ड्रिल का अभ्यास करो'' 

प्रश्न:- दुनिया के अनेक विघ्नों के बीच में रहते हुए एकरस और खुशी में कौन रह सकते हैं? 
उत्तर:- जो किसी भी विघ्न की परवाह नहीं करते। तुम्हारे दुश्मन तो अनेक हैं, विघ्न डालेंगे, कलंक 
लगायेंगे, गाली देंगे - लेकिन याद रहे कि कलंक लगने से ही तुम कलंगीघर बनते हो। कहते हैं कृष्ण ने 
चौथ का चन्द्रमा देखा इसलिए उस पर कलंक लगे। लेकिन अभी तुम बच्चों पर बहुत कलंक लगते हैं। 
अन्त में तुम कहेंगे - हे भारतवासियों, देखो तुमने बहुत कलंक लगाये और हम अभी कलंगीधर बनते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) 21 जन्मों की तकदीर बनाने के लिए शिवबाबा को अपना वारिस बनाना है। हर कर्म से बाप, टीचर, 
सतगुरू - तीनों का शो करना है। 

2) ज्ञान क्लीयर मिल रहा है इसलिए साक्षात्कार की आश नहीं रखनी है। साक्षात् सर्व समर्थ बाप 
हमारे साथ है - इसलिए विघ्नों से घबराना नहीं है। 

वरदान:- स्व परिवर्तन और विश्व परिवर्तन की जिम्मेवारी के ताजधारी सो विश्व राज्य के ताजधारी भव

जैसे बाप के ऊपर, प्राप्ति के ऊपर हर एक अपना अधिकार समझते हो, ऐसे स्व परिवर्तन और विश्व परिवर्तन 
दोनों के जिम्मेवारी के ताजधारी बनो तब विश्व राज्य के ताज अधिकारी बनेंगे। वर्तमान ही भविष्य का 
आधार है। चेक करो और नॉलेज के दर्पण में देखो कि ब्राह्मण जीवन में पवित्रता का, पढ़ाई और सेवा का 
डबल ताज है? यदि यहाँ कोई भी ताज अधूरा है तो वहाँ भी छोटे से ताज के अधिकारी बनेंगे। 

स्लोगन:- सदा बापदादा की छत्रछाया के अन्दर रहो तो विघ्न-विनाशक बन जायेंगे।