Monday, June 10, 2013

Murli [10-06-2013]-English

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम सच्चे-सच्चे रूहानी ब्राह्मण नई दुनिया की स्थापना के निमित्त हो, 
तुम्हें अपना अश्व (शरीर) इस यज्ञ में स्वाहा करना है'' 

प्रश्न:- अवस्था को स्थाई (एकरस) अचल बनाने का साधन क्या है? 
उत्तर:- अवस्था स्थाई तब बनेगी जब निरन्तर योग में रहेंगे। योग टूटता तब है जब किसी में 
ममत्व है इसलिए नष्टामोहा बनो। बुद्धि को पवित्र बनाओ। ज्ञान की धारणा भी पवित्र बुद्धि में ही 
होती है इसलिए बुद्धि रूपी बर्तन स्वच्छ हो, बाप से योग जुटा रहे। 

गीत:- यही बहार है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) योग अग्नि से विकर्मों की खाद भस्म कर गोरा बनना है। पवित्र बन सभी पर पवित्रता 
की ब्लिस करनी है। 

2) स्वयं को ऐसा अचलघर बनाना है जो कोई भी विकर्म न हो। याद की मेहनत से अपनी 
अवस्था परिपक्व बनानी है। 

वरदान:- वाचा के साथ मन्सा द्वारा शक्तिशाली सेवा करने वाले सहज सफलता मूर्त भव 

जैसे वाचा की सेवा में सदा बिजी रहने के अनुभवी हो गये हो, ऐसे हर समय वाणी के साथ-साथ 
मन्सा सेवा स्वत: होनी चाहिए। मन्सा सेवा अर्थात् हर समय हर आत्मा के प्रति स्वत: शुभ भावना 
और शुभ कामना के शुद्ध वायब्रेशन अपने को और दूसरों को अनुभव हों, मन से हर समय सर्व आत्माओं 
के प्रति दुआयें निकलती रहें। तो मन्सा सेवा करने से वाणी की एनर्जी जमा होगी और यह मन्सा की 
शक्तिशाली सेवा सहज सफलतामूर्त बना देगी। 

स्लोगन:- अपनी हर चलन से बाप का नाम बाला करने वाले ही सच्चे-सच्चे खुदाई खिदमतगार हैं।