Wednesday, June 19, 2013

Murli [19-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे-स्वीटेस्ट बाप आया है, स्वीट बनाने, तुम्हें देवताओं 
समान स्वीट बनना और बनाना है 

प्रश्न:- सदा सुखी बनने का वरदान किन बच्चों को प्राप्त होता है? 
उत्तर:- जिन्हें ज्ञान रत्नों की वैल्यू है। एक-एक रत्न पद्मपति बनाने वाला है। 
तुम बच्चे इन रत्नों को धारण कर रूप बसन्त बनो। मुख से सदैव रत्न निकलते 
रहें तो सदा सुखी बन जायेंगे। जो बच्चे मीठा बनते हैं, उन्हें बाप भी देखकर 
खुश होते हैं और सदा सुखी बनने का वरदान देते हैं। तुम बच्चे इसी वरदान 
से एवरहेल्दी, एवरवेल्दी बन जाते हो। 

गीत:- आ गये दिल में तू ... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप समान स्वीटेस्ट बनना है। मुख से कभी कड़ुवे वचन नहीं निकालने हैं, 
सदैव मीठा बोलना है। 

2) बाप हमको जो अमूल्य ज्ञान रत्न दे रहे हैं, उनकी वैल्यू को समझ अच्छी 
रीति धारण करना है। 

वरदान:- स्मृति स्वरूप बन विस्मृति वालों को स्मृति दिलाने वाले सच्चे सेवाधारी भव 

अपने स्मृति स्वरूप फीचर्स द्वारा औरों को स्मृति स्वरूप बनाना यही सच्ची सेवा है। 
आपके फीचर्स औरों को स्मृति दिला दें कि मैं आत्मा हूँ, मस्तक में देखें ही चमकती 
हुई आत्मा वा मणी को। जैसे सांप की मणी देख करके सांप की तरफ कोई का ध्यान 
नहीं जाता, ऐसे अविनाशी चमकती हुई मणि को देख देहभान को भूल जाएं, अटेन्शन 
स्वत: आत्मा की तरफ जाए। विस्मृति वालों को स्मृति आ जाए - तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी। 

स्लोगन:- अवगुण धारण करने वाली बुद्धि का नाश कर सतोप्रधान दिव्य बुद्धि धारण करो।