Saturday, June 29, 2013

Murli [29-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-मुख में मुहलरा डाल लो अर्थात् अपने शान्ति स्वधर्म में स्थित हो 
जाओ तो माया कुछ भी कर नहीं सकती'' 

प्रश्न:- एक शिवबाबा ही भोलानाथ है, दूसरा कोई भी भोलानाथ नहीं हो सकता - क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि एक शिवबाबा ही है, जिसे अपने लिए कोई भी तमन्ना (इच्छा) नहीं। वह 
आकर बच्चों का सेवाधारी बनते हैं। बच्चों को माया की गुलामी से छुड़ाते हैं। हर बच्चे को 
आप समान मास्टर ज्ञान सागर बनाते हैं। ज्ञान रत्नों से झोली भरते हैं। ऐसा निष्काम सेवाधारी 
दूसरा कोई भी हो नहीं सकता इसलिए भोलानाथ एक शिवबाबा को ही कहेंगे। 

गीत:- भोलानाथ से निराला ... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपने शान्त स्वधर्म में स्थित रहना है। माया से बचने के लिए मुख में मुहलरा डाल लेना है। 

2) पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य रखना है, विनाश के पहले अपना सब कुछ सफल कर लेना है। 

वरदान:- योग की धूप में आंसुओं की टंकी को सुखाकर रोना प्रूफ बनने वाले सुख स्वरूप भव 

कई बच्चे कहते हैं कि फलाना दु:ख देता है इसलिए रोना आता है। लेकिन वह देते हैं आप लेते क्यों हो? 
उनका काम है देना, आप लो ही नहीं। परमात्मा के बच्चे कभी रो नहीं सकते। रोना बन्द। न आंखों का 
रोना, न मन का रोना। जहाँ खुशी होगी वहाँ रोना नहीं होगा। खुशी वा प्यार के आंसू को रोना नहीं कहा 
जाता। तो योग की धूप में आंसुओं की टंकी को सुखा दो, विघ्नों को खेल समझो तो सुख स्वरूप बन 
जायेंगे। 

स्लोगन:- साक्षी रहकर पार्ट बजाने का अभ्यास हो तो टेन्शन से परे स्वत: अटेन्शन में रहेंगे।