Friday, June 14, 2013

Murli [14-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-प्रतिज्ञा करो हम पास विद ऑनर बनकर दिखायेंगे, कभी भी माँ-बाप में 
संशयबुद्धि नहीं बनेंगे, सदा सपूत बन श्रीमत पर चलेंगे'' 

प्रश्न:- माया की बॉक्सिंग में तुम बच्चों को किस बात की बहुत सम्भाल करनी है? 
उत्तर:- बॉक्सिंग करते कभी भी मात-पिता में संशय न आ जाये, इसकी बहुत सम्भाल करना। 
अशुद्ध अहंकार वा अशुद्ध लोभ व मोह आया तो पद भ्रष्ट हो जायेगा। तुम्हें बेहद के बाप से स्वर्ग का 
वर्सा लेने का शुद्ध लोभ और एक बाप में ही पूरा मोह रखना है। जीते जी मरना है। बस, हम एक बाप 
के हैं, बाप से ही वर्सा लेंगे, कुछ भी हो जाये-अपने आपसे प्रतिज्ञा करो। मातेले बनो तो बेहद की प्राप्ति 
होगी। संशय आया तो पद गँवा देंगे। 

गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ड्रामा को अच्छी रीति समझकर चलना है। पुरुषार्थ करके प्रालब्ध बनानी है। ड्रामा कहकर बैठ नहीं जाना है। 

2) कभी भी बाप का डिसरिगॉर्ड नहीं करना है। कदम-कदम उनकी श्रीमत पर चलना है। बाप में कभी 
संशय नहीं लाना है। 

वरदान:- निमित्त आत्माओं के डायरेक्शन के महत्व को जान पापों से मुक्त होने वाले सेन्सीबुल भव 

जो सेन्सीबुल बच्चे हैं वो कभी यह नहीं सोचते कि यह निमित्त आत्मायें जो डायरेक्शन दे रही हैं शायद कोई
के कहने से कह रही हैं। निमित्त बनी हुई आत्माओं के प्रति कभी यह व्यर्थ संकल्प नहीं उठाने चाहिए। मानो कोई 
ऐसा फैंसला भी दे देते हैं जो आपको ठीक नहीं लगता है, लेकिन आप उसमें जिम्मेवार नहीं हो, आपका पाप नहीं 
बनेगा क्योंकि जिसने इन्हें निमित्त बनाया है वह बाप, पाप को भी बदल लेगा, यह गुप्त रहस्य, गुप्त मशीनरी है। 

स्लोगन:- ऑनेस्ट वह है जो प्रभु पसन्द और विश्व पसन्द है, आराम पसन्द नहीं।