Tuesday, June 25, 2013

Murli [25-06-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-गृहस्थ व्यवहार सम्भालते हुए पढ़ाई का कोर्स उठाओ, यह देवी-देवता 
बनने का कॉलेज है, तुम्हें भगवान-भगवती (देवी-देवता) बनना है'' 

प्रश्न:- शिवबाबा की बलिहारी किस कर्त्तव्य के कारण गाई हुई है? 
उत्तर:- शिवबाबा सभी बच्चों को बर्थ नाट पेनी से बर्थ पाउण्ड बनाते हैं। तमोप्रधान से सतोप्रधान, 
पतित से पावन बनाते हैं इसलिए उनकी बलिहारी गाई जाती है। अगर शिवबाबा न आते तो हम
बच्चे किसी काम के नहीं थे। गरीब-निवाज़ बाप आये हैं गरीब कन्याओं-माताओं को दासीपने से 
छुड़ाने, इसलिए गरीब-निवाज़ कहकर बाप की बलिहारी गाते हैं। 

गीत:- माता ओ माता... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) रूहानी यात्रा करनी और करानी है। सृष्टि चक्र का ज्ञान बुद्धि में रख स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। 

2) देवी-देवता बनने के लिए इस पुरानी दुनिया को भूल बाप और वर्से को याद करना है। 
नई नॉलेज पढ़नी और पढ़ानी है। 

वरदान:- व्यर्थ संकल्पों को समर्थ में परिवर्तित कर सहजयोगी बनने वाली समर्थ आत्मा भव 

कई बच्चे सोचते हैं कि मेरा पार्ट तो इतना दिखाई नहीं देता, योग तो लगता नहीं, अशरीरी होते नहीं 
-यह हैं व्यर्थ संकल्प। इन संकल्पों को परिवर्तित कर समर्थ संकल्प करो कि याद तो मेरा स्वधर्म है। 
मैं ही कल्प-कल्प का सहजयोगी हूँ। मैं योगी नहीं बनूंगा तो कौन बनेगा। कभी ऐसे नहीं सोचो कि 
क्या करूं मेरा शरीर तो चल नहीं सकता, यह पुराना शरीर तो बेकार है। नहीं। वाह-वाह के संकल्प करो, 
कमाल गाओ इस अन्तिम शरीर की, तो समर्थी आ जायेगी। 

स्लोगन:- शुभ भावनाओं की शक्ति दूसरों की व्यर्थ भावनाओं को भी परिवर्तन कर सकती है।