Thursday, August 30, 2012

Murli [30-08-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो, तुम हो हीरो पार्टधारी तुम्हें बाप ने आकर अभी जागृत किया है'' 
प्रश्न: बाप का फरमान कौन सा है? जिसे पालन करने से विकारों की पीड़ा से बच सकते हैं? 
उत्तर: बाप का फरमान है - पहले 7 रोज़ भट्ठी में बैठो। तुम बच्चों के पास जब कोई आत्मा 5 विकारों से पीड़ित आती है तो उसे बोलो कि 7 रोज़ का टाइम चाहिए। कम से कम 7 रोज़ दो तो तुम्हें हम समझायें कि 5 विकारों की बीमारी कैसे दूर हो सकती है। जास्ती प्रश्न-उत्तर करने वालों को तुम बोल सकते हो कि पहले 7 रोज़ का कोर्स करो। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) किसी भी बात में संशय नहीं उठाना है। ड्रामा को साक्षी हो देखना है। कभी भी अपना रजिस्टर खराब नहीं करना है। 
2) कर्मातीत अवस्था तक पहुँचने के लिए याद में रहने का पूरा पुरूषार्थ करना है। सच्चे दिल से बाप को याद करना है। अपनी स्थिति का टैम्प्रेचर अपने आप देखना है। 
वरदान: हर सेकण्ड, हर खजाने को सफल कर सफलता की खुशी अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव 
सफलता मूर्त बनने का विशेष साधन है-हर सेकण्ड को, हर श्वांस को, हर खजाने को सफल करना। यदि संकल्प, बोल, कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सर्व प्रकार की सफलता का अनुभव करना चाहते हो तो सफल करते जाओ, व्यर्थ नहीं जाये। चाहे स्व के प्रति सफल करो, चाहे और आत्माओं के प्रति सफल करो तो आटोमेटिकली सफलता की खुशी अनुभव करते रहेंगे क्योंकि सफल करना अर्थात् वर्तमान में सफलता प्राप्त करना और भविष्य के लिए जमा करना। 
स्लोगन: जब संकल्प में भी कोई आकर्षण आकर्षित न करे तब कहेंगे सम्पूर्णता की समीपता।