Friday, August 24, 2012

Murli [24-08-2012]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप का फरमान है देही-अभिमानी बनो, पवित्र बनकर सबको पवित्र बनाओ, निश्चयबुद्धि बन बाप से पूरा वर्सा लो'' 
प्रश्न: अन्त में शरीर छोड़ने समय हाय-हाय किन्हों को करनी पड़ती है? 
उत्तर: जो जीते जी मरकर पूरा पुरूषार्थ नहीं करते हैं, पूरा वर्सा नहीं लेते हैं, उन्हें ही अन्त में हाय-हाय करनी पड़ती है। 
प्रश्न:- इस समय अनेक प्रकार के लड़ाई-झगड़े वा पार्टीशन आदि क्यों हैं? 
उत्तर:- क्योंकि सब अपने असली पिता को भूल आरफन, निधनके बन गये हैं। जिस मात-पिता से घनेरे सुख मिले थे, उसे भूल सर्वव्यापी कह दिया है, इसलिए आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप से स्वर्ग का वर्सा लेने के लिए गृहस्थ व्यवहार में रहते, रचना की सम्भाल करते हुए कमल फूल समान पवित्र बनना है। 
2) हर एक को 21 पीढ़ी के लिए सुखी बनाने का रास्ता बताना है। ज्ञान चिता पर बैठ शूद्र से ब्राह्मण और फिर देवता बनना है। 
वरदान: नॉलेज की लाइट और माइट द्वारा सोलकान्सेस रहने वाले स्मृति स्वरूप भव 
आपका अनादि रूप निराकार ज्योति स्वरूप आत्मा है और आदि स्वरूप है देव आत्मा। दोनों स्वरूप सदा स्मृति में तब रहेंगे जब नॉलेज की लाइट-माइट के आधार से सोलकान्सेस स्थिति में रहने का अभ्यास होगा। ब्राह्मण बनना अर्थात् नॉलेज की लाइट-माइट के स्मृति स्वरूप बनना। जो स्मृति स्वरूप हैं, वह स्वयं भी सन्तुष्ट रहते और दूसरों को भी सन्तुष्ट करते हैं। 
स्लोगन: साधारणता में महानता का अनुभव करना ही महान आत्मा बनना है।