Monday, August 20, 2012

Murli [20-08-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हारा ज्ञान-योग से सच्चा श्रृंगार करने, इस श्रृंगार को बिगाड़ने वाला है देह-अभिमान, इसलिए देह से ममत्व निकाल देना है'' 
प्रश्न: ज्ञान मार्ग की ऊंची सीढ़ी कौन चढ़ सकता है? 
उत्तर: जिनका अपनी देह में और किसी भी देहधारी में ममत्व नहीं है। एक बाप से दिल की सच्ची प्रीत है। किसी के भी नाम रूप में नहीं फँसते हैं, वही ज्ञान मार्ग की ऊंची सीढ़ी चढ़ सकते हैं। एक बाप से दिल की मुहब्बत रखने वाले बच्चों की सब आशायें पूरी हो जाती हैं। नाम-रूप में फँसने की बीमारी बहुत कड़ी है, इसलिए बापदादा वारनिंग देते हैं - बच्चे तुम एक दो के नाम-रूप में फँस अपना पद भ्रष्ट मत करो। 
गीत:- तुम्हें पाके हमने... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) देह-अभिमान वश कभी रूठना नहीं है। साकार द्वारा बाप की मत लेनी है। एक परमात्मा माशुक का सच्चा आशिक बनना है। 
2) घरबार सम्भालते राजॠषि बनकर रहना है। सुखधाम में जाने की पूरी उम्मीद रख पुरूषार्थ में सम्पूर्ण भावना रखनी है। 
वरदान: सब फिकरातें बाप को देकर बेफिक्र स्थिति का अनुभव करने वाले परमात्म प्यारे भव 
जो बच्चे परमात्म प्यारे हैं वह सदा दिलतख्त पर रहते हैं। कोई की हिम्मत नहीं जो दिलाराम के दिल से उन्हें अलग कर सके इसलिए आप दुनिया के आगे फखुर से कहते हो कि हम परमात्म प्यारे बन गये। इसी फखुर में रहने के कारण सब फिकरातों से फारिग हो। आप कभी गलती से भी नहीं कह सकते कि आज मेरा मन थोड़ा सा उदास है, मेरा मन नहीं लगता..., यह बोल ही व्यर्थ बोल हैं। मेरा कहना माना मुश्किल में पड़ना। 
स्लोगन: किसी भी प्रकार की हलचल को समाप्त करने का साधन है-ड्रामा पर अटल निश्चय।