मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अब यह पुराना घर छोड़ बाप के साथ चलना है इसलिए इस घर (शरीर) से ममत्व मिटाते जाओ, अपने को आत्मा निश्चय करो''
प्रश्न: देही-अभिमानी बच्चों के मुख से कौन से शब्द नहीं निकलेंगे?
उत्तर: मेरे मन को शान्ति कैसे मिले? यह शब्द देही-अभिमानी बच्चों के मुख से नहीं निकल सकते। देह-अभिमान वाले ही यह शब्द बोलते हैं क्योंकि उन्हें आत्मा का ज्ञान ही नहीं है। तुम जानते हो आत्मा का स्वधर्म ही शान्त है। मन के शान्ति की तो बात ही नहीं। आत्मा अपने स्वधर्म में टिक जाये तो मन शान्त हो जायेगा। आत्मा सो परमात्मा कहने वाले इस बात को समझ नहीं सकते।
गीत:- मरना तेरी गली में...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अमृतवेले उठ ज्ञान रत्नों का धन्धा करना है। रूप-बसन्त बन पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है।
2) बाप के साथ वापिस घर जाना है, इसलिए पवित्र बनना है। अशरीरी बन, बाप की याद में रह साइलेन्स बल से साइंस पर विजय पानी है।
वरदान: कम समय में सम्पूर्णता की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त करने वाले डबल लाइट भव
डबल लाइट स्थिति तीव्रगति के पुरूषार्थ की निशानी है, उसे किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होगा। चाहे प्रकृति द्वारा या व्यक्तियों द्वारा कोई भी परिस्थिति आये लेकिन हर परिस्थिति स्व-स्थिति के आगे कुछ भी अनुभव नहीं होगी। डबल लाइट अर्थात् ऊंचा रहने से किसी भी प्रकार का प्रभाव, प्रभावित नहीं कर सकता। नीचे की बातों से, नीचे के वायुमण्डल से ऊपर रहने से कम समय में सम्पूर्ण बनने की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त कर लेंगे।
स्लोगन: दु:खधाम से किनारा कर लो तो दु:ख की लहर समीप नहीं आ सकती।
प्रश्न: देही-अभिमानी बच्चों के मुख से कौन से शब्द नहीं निकलेंगे?
उत्तर: मेरे मन को शान्ति कैसे मिले? यह शब्द देही-अभिमानी बच्चों के मुख से नहीं निकल सकते। देह-अभिमान वाले ही यह शब्द बोलते हैं क्योंकि उन्हें आत्मा का ज्ञान ही नहीं है। तुम जानते हो आत्मा का स्वधर्म ही शान्त है। मन के शान्ति की तो बात ही नहीं। आत्मा अपने स्वधर्म में टिक जाये तो मन शान्त हो जायेगा। आत्मा सो परमात्मा कहने वाले इस बात को समझ नहीं सकते।
गीत:- मरना तेरी गली में...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) अमृतवेले उठ ज्ञान रत्नों का धन्धा करना है। रूप-बसन्त बन पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है।
2) बाप के साथ वापिस घर जाना है, इसलिए पवित्र बनना है। अशरीरी बन, बाप की याद में रह साइलेन्स बल से साइंस पर विजय पानी है।
वरदान: कम समय में सम्पूर्णता की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त करने वाले डबल लाइट भव
डबल लाइट स्थिति तीव्रगति के पुरूषार्थ की निशानी है, उसे किसी भी प्रकार का बोझ अनुभव नहीं होगा। चाहे प्रकृति द्वारा या व्यक्तियों द्वारा कोई भी परिस्थिति आये लेकिन हर परिस्थिति स्व-स्थिति के आगे कुछ भी अनुभव नहीं होगी। डबल लाइट अर्थात् ऊंचा रहने से किसी भी प्रकार का प्रभाव, प्रभावित नहीं कर सकता। नीचे की बातों से, नीचे के वायुमण्डल से ऊपर रहने से कम समय में सम्पूर्ण बनने की श्रेष्ठ मंजिल को प्राप्त कर लेंगे।
स्लोगन: दु:खधाम से किनारा कर लो तो दु:ख की लहर समीप नहीं आ सकती।