Sunday, August 26, 2012

Murli [26-08-2012]-Hindi

26-08-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:11-02-75 मधुबन 
माया से युद्ध करने वाले पाण्डवों के लिए धारणायें 
26-08-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:02-08-75 मधुबन 
विदेशों में ईश्वरीय सेवा का महत्व 
वरदान: मेरे पन के अधिकार को समाप्त कर क्रोध व अभिमान पर विजयी बनने वाले कर्मबन्धन मुक्त भव
जहाँ मेरेपन का अधिकार रखते हो कि ये क्यों किया, यह मेरी है या मेरा है तो क्रोध, अभिमान या मोह आता है। लेकिन यह सेवा के साथी हैं, न कि मेरे का अधिकार है। जब मेरा नहीं तो क्रोध, मोह का कर्मबन्धन भी नहीं। तो कर्मबन्धनों से मुक्त होने के लिए एक बाप को अपना संसार बना लो। ''एक बाप दूसरा न कोई'' एक बाप ही संसार बन गया तो कोई आकर्षण नहीं, कोई कमजोर संस्कारों का भी बंधन नहीं। सब मेरा-मेरा एक मेरे बाप में समा जाता है। 
स्लोगन: मास्टर सर्वशक्तिमान् वह है जो समय प्रमाण हर गुण, हर शक्ति को कार्य में लगाये।