Saturday, August 4, 2012

Murli [4-08-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - जब तक जीना है पवित्रता का व्रत पक्का रखना है क्योंकि यह अन्तिम जन्म है, पवित्र बनकर पवित्र दुनिया में जाना है'' 
प्रश्न: बाप का प्यार वा अधिकार किन बच्चों पर रहता है? 
उत्तर: जो अच्छी रीति पढ़ते और पढ़ाते हैं, सबूत देते हैं। उन पर बाप का सबसे अधिक प्यार रहता है। जो अच्छी रीति पढ़ने वाले हैं वही माला में पिरोयेंगे। 
प्रश्न:- भविष्य देव पद प्राप्त करने के लिए अपनी कौन सी जांच करनी है? 
उत्तर:- जांच करो दैवी गुण धारण करने में कौन-कौन से विघ्न आते हैं, उन विघ्नों को युक्ति से उड़ाना है। अपने को देखना है हम पावन कहाँ तक बने हैं! कोई भी कांटा रूकावट तो नहीं डालता! 
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए कमल फूल समान रहना है। जब तक जीना है पवित्रता का व्रत जरूर रखना है। 
2) कृपा मांगने के बजाए मात-पिता को फालो करना है। पढ़ाई ध्यान से पढ़नी और पढ़ानी है। 
वरदान: लगाव के सूक्ष्म धागों को समाप्त कर उड़ती कला में उड़ने वाले सम्पूर्ण फरिश्ता भव 
फरिश्ता अर्थात् जिसका पुरानी दुनिया से कोई रिश्ता नहीं। तो सूक्ष्म रीति से चेक करो कि अंश मात्र भी कोई धागा अपनी तरफ आकर्षित तो नहीं करता है? क्योंकि यदि कोई चीज़ अच्छी लगती है तो वह अपनी तरफ आकर्षित जरूर करती है। कई कहते हैं इच्छा नहीं है लेकिन अच्छा लगता है। तो इच्छा है मोटा धागा और अच्छा है सूक्ष्म धागा, अब उसे भी समाप्त कर सम्पूर्ण फरिश्ता बनो। 
स्लोगन: मन्सा द्वारा शक्तियों का और कर्म द्वारा गुणों का दान देना ही महादानी बनना है।