Friday, August 17, 2012

Murli [17-08-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - समय बहुत थोड़ा है इसलिए रूहानी धन्धा करो, सबसे अच्छा धंधा है - बाप और वर्से को याद करना, बाकी सब खोटे धन्धे हैं'' 
प्रश्न: तुम बच्चों के अन्दर कौनसी उत्कण्ठा होनी चाहिए? 
उत्तर: कैसे हम बिगड़ी हुई आत्माओं को सुधारें, सभी को दु:ख से छुड़ाकर 21 जन्मों के लिए सुख का रास्ता बतावें। सबको बाप का सच्चा-सच्चा परिचय दें - यह उत्कण्ठा तुम बच्चों में होनी चाहिए। 
गीत:- भोलेनाथ से निराला... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बहुत-बहुत मीठा बनना है। क्रोध का अंश भी निकाल देना है। बाप समान रहमदिल बन सर्विस पर तत्पर रहना है। 
2) मौत सामने खड़ा है। वानप्रस्थ अवस्था है इसलिए बाप को और वर्से को याद करना है। भारत को रामराज्य बनाने की सेवा में अपना सब कुछ सफल करना है। 
वरदान: आकारी और निराकारी स्थिति के अभ्यास द्वारा हलचल में भी अचल रहने वाले बाप समान भव 
जैसे साकार में रहना नेचुरल हो गया है, ऐसे ही मैं आकारी फरिश्ता हूँ और निराकारी श्रेष्ठ आत्मा हूँ-यह दोनों स्मृतियां नेचुरल हो क्योंकि शिव बाप है निराकारी और ब्रह्मा बाप है आकारी। अगर दोनों से प्यार है तो समान बनो। साकार में रहते अभ्यास करो - अभी-अभी आकारी और अभी-अभी निराकारी। तो यह अभ्यास ही हलचल में अचल बना देगा। 
स्लोगन: दिव्य गुणों की प्राप्ति होना ही सबसे श्रेष्ठ प्रभू प्रसाद है।