मुरली सार:- मीठे बच्चे - यह है बेहद की अनलिमिटेड स्टेज, जिसमें तुम आत्मायें पार्ट बजाने
प्रश्न:- कर्मातीत अवस्था को प्राप्त करने का पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:- कर्मातीत बनना है तो पूरा-पूरा सरेन्डर होना पड़े। अपना कुछ नहीं। सब कुछ भूले हुए
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप प्यार का सागर है, ऐसे मास्टर प्यार का सागर बन प्यार से काम निकालना है।
वरदान:- रूहानी नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले स्वराज्य सो विश्व राज्य अधिकारी भव
संगमयुग पर जो बाप के वर्से के अधिकारी हैं वही स्वराज्य और विश्व राज्य अधिकारी बनते
स्लोगन:- हर सेकेण्ड, हर श्वाँस, हर खजाने को सफल करने वाले ही सफलतामूर्त बनते हैं।
के लिए बांधी हुई हो, इसमें हरेक का फिक्स पार्ट है“
प्रश्न:- कर्मातीत अवस्था को प्राप्त करने का पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:- कर्मातीत बनना है तो पूरा-पूरा सरेन्डर होना पड़े। अपना कुछ नहीं। सब कुछ भूले हुए
होंगे तब कर्मातीत बन सकेंगे। जिन्हें धन, दौलत, बच्चे आदि याद आते, वह कर्मातीत बन
नहीं सकते इसलिए बाबा कहते मैं हूँ गरीब निवाज़। गरीब बच्चे जल्दी सरेन्डर हो जाते हैं।
सहज ही सब कुछ भूल एक बाप की याद में रह सकते हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप प्यार का सागर है, ऐसे मास्टर प्यार का सागर बन प्यार से काम निकालना है।
क्रोध नहीं करना है। क्रोध कोई करे तो तुम्हें शान्त रहना है।
2) बुद्धि से इस पुरानी दु:ख की दुनिया को भूल बेहद का सन्यासी बनना है। शान्तिधाम और
सुखधाम को याद करना है। अविनाशी ज्ञान रत्नों की लेन-देन करनी है।
वरदान:- रूहानी नशे द्वारा पुरानी दुनिया को भूलने वाले स्वराज्य सो विश्व राज्य अधिकारी भव
संगमयुग पर जो बाप के वर्से के अधिकारी हैं वही स्वराज्य और विश्व राज्य अधिकारी बनते
हैं। आज स्वराज्य है कल विश्व का राज्य होगा। आज कल की बात है, ऐसी अधिकारी आत्मा
रूहानी नशे में रहती है और नशा पुरानी दुनिया सहज भुला देता है। अधिकारी कभी कोई वस्तु
के, व्यक्ति के, संस्कार के अधीन नहीं हो सकते। उन्हें हद की बातें छोड़नी नहीं पड़ती, स्वत:
छूट जाती हैं।
स्लोगन:- हर सेकेण्ड, हर श्वाँस, हर खजाने को सफल करने वाले ही सफलतामूर्त बनते हैं।