मुरली सार:- “मीठे बच्चे - योग द्वारा तत्वों को पावन बनाने की सेवा करो क्योंकि जब
प्रश्न:- तुम्हारी नई राजधानी में किसी भी प्रकार की अशान्ति नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:- 1. क्योंकि वह राजाई तुम्हें बाप द्वारा वर्से में मिली हुई है, 2. वरदाता बाप ने
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने दिल की सफाई से बाप के वन्डरफुल ज्ञान को जीवन में धारण करना है,
वरदान:- व्यर्थ संकल्पों के कारण को जानकर उन्हें समाप्त करने वाले समाधान स्वरूप भव
व्यर्थ संकल्प उत्पन्न होने के मुख्य दो कारण हैं - 1- अभिमान और 2- अपमान।
स्लोगन:- साइलेन्स की शक्ति द्वारा स्वीट होम की यात्रा करना बहुत सहज है।
तत्व पावन बनेंगे तब इस सृष्टि पर देवतायें पाँव रखेंगे”
प्रश्न:- तुम्हारी नई राजधानी में किसी भी प्रकार की अशान्ति नहीं हो सकती है - क्यों?
उत्तर:- 1. क्योंकि वह राजाई तुम्हें बाप द्वारा वर्से में मिली हुई है, 2. वरदाता बाप ने
तुम बच्चों को अभी ही वरदान अर्थात् वर्सा दे दिया है, जिस कारण वहाँ अशान्ति हो
नहीं सकती। तुम बाप का बनते हो तो सारा वर्सा ले लेते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपने दिल की सफाई से बाप के वन्डरफुल ज्ञान को जीवन में धारण करना है,
पुरूषार्थ से ऊंच प्रालब्ध बनानी है। ड्रामा कहकर ठहर नहीं जाना है।
2) रावण राज्य में क्रिमिनल आंखों के धोखे से बचने के लिए ज्ञान के तीसरे नेत्र से
देखने का अभ्यास करना है। पवित्रता जो नम्बरवन कैरेक्टर है, उसे ही धारण करना है।
वरदान:- व्यर्थ संकल्पों के कारण को जानकर उन्हें समाप्त करने वाले समाधान स्वरूप भव
व्यर्थ संकल्प उत्पन्न होने के मुख्य दो कारण हैं - 1- अभिमान और 2- अपमान।
मेरे को कम क्यों, मेरा भी ये पद होना चाहिए, मेरे को भी आगे करना चाहिए...तो
इसमें या तो अपना अपमान समझते हो या फिर अभिमान में आते हो, नाम में,
मान में, शान में, आगे आने में, सेवा में... अभिमान या अपमान महसूस करना
यही व्यर्थ संकल्पों का कारण है, इस कारण को जानकर निवारण करना ही समाधान
स्वरूप बनना है।
स्लोगन:- साइलेन्स की शक्ति द्वारा स्वीट होम की यात्रा करना बहुत सहज है।