Tuesday, August 5, 2014

Murli-(05-08-2014)-Hindi

मुरली सार:- “मीठे बच्चे - तुम्हें खुशी होनी चाहिए कि दु:ख हरने वाला बाबा हमें सुखधाम 
में ले जाने आया है, हम स्वर्ग के परीज़ादे बनने वाले हैं” 

प्रश्न:- बच्चों की किस स्थिति को देखते हुए बाप को चिन्ता नहीं होती - क्यों? 
उत्तर:- कोई-कोई बच्चे फर्स्ट क्लास खुशबूदार फूल हैं, कोई में ज़रा भी खुशबू नहीं है। कोई 
की अवस्था बहुत अच्छी रहती, कोई माया के तूफानों से हार खा लेते, यह सब देखते हुए 
भी बाप को चिंता नहीं होती क्योंकि बाप जानते हैं यह सतयुग की राजधानी स्थापन हो रही 
है। फिर भी बाप शिक्षा देते हैं-बच्चे, जितना हो सके याद में रहो। माया के तूफानों से डरो नहीं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इन आंखों से सब कुछ देखते हुए इसे भूलने का अभ्यास करना है। पुराने घर से, दुनिया 
से दिल हटा लेनी है। नये घर को याद करना है। 

2) ज्ञान स्नान कर सुन्दर परीज़ादा बनना है। जैसे बाप सुन्दर गोरा मुसाफिर है, ऐसे उनकी 
याद से आत्मा को सांवरे से गोरा बनाना है। माया की युद्ध से डरना नहीं है, विजयी बनकर 
दिखाना है। 

वरदान:- ब्राह्मण जन्म की विशेषता को नेचरल नेचर बनाने वाले सहज पुरूषार्थी भव 

ब्राह्मण जन्म भी विशेष, ब्राह्मण धर्म और कर्म भी विशेष अर्थात् सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि ब्राह्मण 
कर्म में फालो साकार ब्रह्मा बाप को करते हैं। तो ब्राह्मणों की नेचर ही विशेष नेचर है, साधारण 
वा मायावी नेचर ब्राह्मणों की नेचर नहीं। सिर्फ यही स्मृति स्वरूप में रहे कि मैं विशेष आत्मा 
हूँ, यह नेचर जब नेचरल हो जायेगी तब बाप समान बनना सहज अनुभव करेंगे। स्मृति 
स्वरूप सो समर्थी स्वरूप बन जायेंगे - यही सहज पुरूषार्थ है। 

स्लोगन:- पवित्रता और शान्ति की लाईट चारों ओर फैलाने वाले ही लाइट हाउस हैं।