17-08-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:05-12-78 मधुबन
मरजीवा जन्म का निजी संस्कार - पहली स्मृति और पहला बोल
वरदान:- अविनाशी और बेहद के अधिकार की खुशी वा नशे द्वारा सदा निश्चिंत भव
दुनिया में बहुत मेहनत करके अधिकार लेते हैं, आपको बिना मेहनत के अधिकार
स्लोगन:- जो उदारचित, विशालदिल वाले हैं वही एकता की नींव हैं।
मरजीवा जन्म का निजी संस्कार - पहली स्मृति और पहला बोल
वरदान:- अविनाशी और बेहद के अधिकार की खुशी वा नशे द्वारा सदा निश्चिंत भव
दुनिया में बहुत मेहनत करके अधिकार लेते हैं, आपको बिना मेहनत के अधिकार
मिल गया। बच्चा बनना अर्थात् अधिकार लेना। “वाह मैं श्रेष्ठ अधिकारी आत्मा”,
इस बेहद के अधिकार के नशे और खुशी में रहो तो सदा निश्चिंत रहेंगे। यह अविनाशी
अधिकार निश्चित ही है। जहाँ निश्चित होता है वहाँ निश्चिंत होते हैं। अपनी सर्व
जिम्मेवारियां बाप हवाले कर दो तो सब चिंताओं से मुक्त हो जायेंगे।
स्लोगन:- जो उदारचित, विशालदिल वाले हैं वही एकता की नींव हैं।