मुरली सार:- “मीठे बच्चे - दु:ख हर्ता सुख कर्ता बाप को याद करो तो तुम्हारे सब दु:ख दूर
प्रश्न:- बाप ने तुम बच्चों को चलते-फिरते याद में रहने का डायरेक्शन क्यों दिया है?
उत्तर:-
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इन आंखों से ईविल (बुरा) नहीं देखना है। बाप ने जो ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है,
2) गृहस्थ व्यवहार को सम्भालते हुए प्यारी चीज़ बाप को याद करना है। अवस्था ऐसी
वरदान:- स्नेह के रिटर्न में स्वयं को टर्न कर बाप समान बनने वाले सम्पन्न और सम्पूर्ण भव
स्नेह की निशानी है वो स्नेही की कमी देख नहीं सकते। स्नेही की गलती अपनी गलती
स्लोगन:- अपने रूहानी वायब्रेशन्स द्वारा शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने की सेवा करना
हो जायेंगे, अन्त मति सो गति हो जायेगी”
प्रश्न:- बाप ने तुम बच्चों को चलते-फिरते याद में रहने का डायरेक्शन क्यों दिया है?
उत्तर:-
1. क्योंकि याद से ही जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझ उतरेगा,
2. याद से ही आत्मा सतोप्रधान बनेगी,
3. अभी से याद में रहने का अभ्यास होगा तो अन्त समय में एक बाप की याद में
रह सकेंगे। अन्त के लिए ही गायन है - अन्तकाल जो स्त्री सिमरे....
4. बाप को याद करने से 21 जन्मों का सुख सामने आ जाता है। बाप जैसी मीठी
चीज़ दुनिया में कोई नहीं, इसलिए बाप का डायरेक्शन है-बच्चे, चलते-फिरते मुझे
ही याद करो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इन आंखों से ईविल (बुरा) नहीं देखना है। बाप ने जो ज्ञान का तीसरा नेत्र दिया है,
उस सिविल नेत्र से ही देखना है। सतोप्रधान बनने का पूरा पुरूषार्थ करना है।
2) गृहस्थ व्यवहार को सम्भालते हुए प्यारी चीज़ बाप को याद करना है। अवस्था ऐसी
जमानी है जो अन्तकाल में एक बाप के सिवाए दूसरा कुछ भी याद न आये।
वरदान:- स्नेह के रिटर्न में स्वयं को टर्न कर बाप समान बनने वाले सम्पन्न और सम्पूर्ण भव
स्नेह की निशानी है वो स्नेही की कमी देख नहीं सकते। स्नेही की गलती अपनी गलती
समझेंगे। बाप जब बच्चों की कोई बात सुनते हैं तो समझते हैं यह मेरी बात है। बाप
बच्चों को अपने समान सम्पन्न और सम्पूर्ण देखना चाहते हैं। इस स्नेह के रिटर्न में
स्वयं को टर्न कर लो। भक्त तो सिर उतारकर रखने के लिए तैयार हैं आप शरीर का
सिर नहीं उतारो लेकिन रावण का सिर उतार दो।
स्लोगन:- अपने रूहानी वायब्रेशन्स द्वारा शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने की सेवा करना
सबसे श्रेष्ठ सेवा है।