Saturday, March 24, 2012

Murli [24-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम्हें भक्ति की रोचक बातों के बजाए रूहानी बातें सबको सुनानी है, रावण राज्य से मुक्त करने की सेवा करनी है''

प्रश्न: सेवा में सफलता प्राप्त करने के लिए मुख्य कौन सा गुण चाहिए?
उत्तर: निरहंकारिता का गुण। महावीर के लिए भी दिखाते हैं जहाँ भी सतसंग होता था, वहाँ जुत्तियों में जाकर बैठता था क्योंकि उसमें देह-अभिमान नहीं था, परन्तु इसमें बहादुरी चाहिए। तुम कोई भी ड्रेस पहनकर उन सतसंगों में जाकर सुन सकते हो। गुप्त वेष में जाकर उनकी सेवा करनी चाहिए।

गीत:- ओम् नमो शिवाए ....

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सभी भक्ति रूपी सीताओं को रावण की कैद से छुड़ाना है। सेकेण्ड में मुक्ति जीवनमुक्ति की राह दिखानी है।
2) बाप और वर्से को याद करना है। देह-अभिमान छोड़ महावीर बन सेवा करनी है। विचार सागर मंथन कर सेवा की नई नई युक्तियां निकालनी हैं।

वरदान: स्वमान में स्थित रह देहभान को समाप्त करने वाले अकाल तख्तनशीन, अकालमूर्त भव

संगमयुग पर बाप द्वारा अनेक स्वमान प्राप्त हैं। रोज़ एक नया स्वमान स्मृति में रखो तो स्वमान के आगे देहभान ऐसे भाग जायेगा जैसे रोशनी के आगे अंधकार भाग जाता है। न समय लगता, न मेहनत लगती। आपके पास डायरेक्ट परमात्म लाइट का कनेक्शन है सिर्फ स्मृति का स्वीच डायरेक्ट लाइन से आन करो तो इतनी लाइट आ जायेगी जो स्वयं तो लाइट में होंगे लेकिन औरों के लिए भी लाइट हाउस हो जायेंगे। जो ऐसे स्वमान में रहते हैं, उन्हें ही अकाल तख्तनशीन, अकालमूर्त कहा जाता है।

स्लोगन: अपनी स्थिति ऊंची बनाओ तो परिस्थितियां छोटी हो जायेंगी।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....