Saturday, March 24, 2012

Murli [19-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - बेहद के बाप से सदा सुख का वर्सा लेना है तो जो भी खामियां हैं उन्हें निकाल दो, पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ो और पढ़ाओ''

प्रश्न: बाप समान सर्विस के निमित्त बनने के लिए कौन सा मुख्य गुण चाहिए?

उत्तर: सहनशीलता का। देह के ऊपर टूमच मोह नहीं रखना है। योगबल से काम लेना है। जब योगबल से सब बीमारियां खत्म होंगी तब बाप समान सर्विस के निमित्त बन सकेंगे।

प्रश्न:- कौन सा महापाप होने से बुद्धि का ताला बंद हो जाता है?
उत्तर:- यदि बाप का बनकर बाप की निंदा कराते हैं, आज्ञाकारी, वफ़ादार बनने के बजाए किसी भी भूत के वशीभूत होकर डिससर्विस करते हैं, कालापन नहीं छोड़ते तो इस महापाप से बुद्धि को ताला लग जाता है।

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे...

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) कर्मेन्द्रियों से कोई भी विकर्म नहीं करना है। ऐसी कोई चलन नहीं चलनी है जिससे अनेकों की बद-दुआयें निकलें। अपने भविष्य का ख्याल रख पुण्य कर्म करने हैं।
2) अन्दर जो भी कालापन है, देह-अभिमान के कारण भूतों की प्रवेशता है, उन्हें निकाल देना है। ज्ञान से अपना श्रृंगार कर सपूत बच्चा बनना है।

वरदान: दिव्य बुद्धि द्वारा त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव

ब्राह्मण जन्म की विशेष सौगात दिव्य बुद्धि है। इस दिव्य बुद्धि द्वारा बाप को, अपने आपको और तीनों कालों को स्पष्ट जान सकते हो। दिव्य बुद्धि से ही याद द्वारा सर्व शक्तियों को धारण कर सकते हो। दिव्य बुद्धि त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव कराती है, उनके सामने तीनों ही काल स्पष्ट होते हैं। कहा भी जाता है जो सोचो, जो बोलो, आगे पीछे का सोच समझकर करो। परिणाम को जानकर कर्म करने से सफलता अवश्यहोती है।

स्लोगन: यथार्थ निर्णय देना है तो रूहानी फखुर (नशे) द्वारा बेफिक्र स्थिति में स्थित रहो।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....