Saturday, March 24, 2012

Murli [16-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - इस पुरानी देह का भान भूलो, इससे ममत्व मिटाओ तो तुम्हें फर्स्ट क्लास शरीर मिल जायेगा, यह शरीर तो खत्म हुआ ही पड़ा है''

प्रश्न: इस ड्रामा का अटल नियम कौन सा है, जिसे मनुष्य नहीं जानते हैं?
उत्तर: जब ज्ञान है तो भक्ति नहीं और जब भक्ति है तो ज्ञान नहीं। जब पावन दुनिया है तो कोई भी पतित नहीं और जब पतित दुनिया है तो कोई भी पावन नहीं.. यह है ड्रामा का अटल नियम, जिसको मनुष्य नहीं जानते हैं।

प्रश्न:- सच्ची काशी कलवट खाना किसे कहेंगे?
उत्तर:- अन्त में किसी की भी याद न आये। एक बाप की ही याद रहे, यह है सच्ची काशी कलवट खाना। काशी कलवट खाना अर्थात् पास विद् ऑनर हो जाना जिसमें जरा भी सजा न खानी पड़े।

गीत:- दर पर आये हैं कसम ले......

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी को भी दु:ख नहीं देना है। किसी की बात दिल में नहीं रखनी है। बाप समान प्यार का सागर बनना है।
2) एकान्त में बैठ विचार सागर मंथन करना है। मंथन कर फिर प्रेम से समझाना है। बाबा की सर्विस में मददगार बनना है।

वरदान: संगमयुग के महत्व को जान स्नेह की अनुभूतियों में समाने वाले सम्पूर्ण ज्ञानी योगी भव

संगमयुग परमात्म स्नेह का युग है। इस युग के महत्व को जानकर स्नेह की अनुभूतियों में समा जाओ। स्नेह का सागर स्नेह के हीरे मोतियों की थालियां भरकर दे रहे हैं, तो अपने को सदा भरपूर करो। थोड़े से अनुभव में खुश नहीं हो जाओ, सम्पन्न बनो। ये परमात्म प्यार के हीरे-मोती अनमोल हैं, इससे सदा सजे सजाये रहो क्योंकि यह स्नेह ही योग है और स्नेह में समाना ही सम्पूर्ण ज्ञान है। ऐसे रूहानी स्नेह का सदा अनुभव करने वाले ही सम्पूर्ण ज्ञानी-योगी हैं।

स्लोगन: जो व्यर्थ की फीलिंग से परे रहता है वही मायाजीत बनता है।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....