Saturday, March 24, 2012

Murli [21-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - ज्ञान के तीसरे नेत्र से बाप को दखो, बाप को ही याद करो, इस शरीर को देखते हुए भी नहीं देखो''

प्रश्न: इस पुरानी दुनिया में रहते तुम बच्चों को कौन सा डायरेक्शन मिला हुआ है?
उत्तर: मीठे बच्चे - यह पुरानी दुनिया, जिसमें तुम रहते हो यह कब्रिस्तान होनी है, इस पर रावण का राज्य है, इनसे दिल नहीं लगाओ। यहाँ रहते बुद्धि की आसक्ति नई दुनिया में जानी चाहिए। गृहस्थ व्यवहार में भल रहो परन्तु कमल फूल समान रहो, सबसे तोड़ निभाओ। बुद्धियोग एक बाप से लगा रहे। ज्ञान योग में पक्के बनो। किसी भी हालत में खुशी का पारा कम न हो। धीरज रख कर्मबन्धन को काटते जाओ।

गीत:- धीरज धर मनुवा....

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ईश्वरीय सैलवेशन आर्मी बन विश्व के डूबे हुए बेडे को पार लगाना है। मनुष्यों को कौड़ी तुल्य से हीरे जैसा बनाना है। ज्ञान धन दान करने में कन्जूस नहीं बनना है।
2) अपनी दिल बाप और नई दुनिया से लगानी है। इस पुरानी देह से बेहद का वैरागी बनना है।

वरदान: बेहद के अधिकार की स्मृति द्वारा अपार खुशी में रहने वाले सदा निश्चिंत भव

आजकल दुनिया में किसी को रिवाजी अधिकार भी मिलता है तो कितनी मेहनत करके अधिकार लेते हैं आपको तो बिना मेहनत के अधिकार मिल गया। बच्चा बनना अर्थात् अधिकार लेना। मेरा माना और अधिकार मिला। तो वाह मैं श्रेष्ठ अधिकारी आत्मा! इसी बेहद के अधिकार की खुशी में रहो। यह अविनाशी अधिकार निश्चित ही है और जहाँ निश्चित होता है वहाँ निश्चिन्त रहते हैं।

स्लोगन: सर्व की दुआओं से तीव्रगति की उड़ान भरो तो समस्याओं के पहाड़ को सहज ही क्रास कर लेंगे।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....