Saturday, March 24, 2012

Murli [20-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - यह तुम्हारा अन्तिम जन्म है इसलिए विकारों का सन्यास करो, इस अन्तिम जन्म में रावण की जंजीरों से अपने को छुड़ाओ''

प्रश्न: बाप का सहारा किन बच्चों को मिलता है? बाप किन बच्चों से सदा राज़ी रहता है?
उत्तर: बाप का सहारा उन्हें मिलता - जो सच्ची दिल वाले हैं। कहा जाता सच्ची दिल पर साहेब राज़ी। जो बाप के हर डायरेक्शन को अमल में लाते हैं, बाबा उनसे राज़ी रहता है। बाप का डायरेक्शन है याद में रह पवित्र बन फिर सर्विस करो, किसको रास्ता बताओ। शूद्रों के संग से अपनी सम्भाल करो। कर्मेन्द्रियों से कभी बुरा काम नहीं करना। जो इन सब बातों की धारणा करते बाप उनसे राज़ी रहता।

गीत:- मुझको सहारा देने वाले.....

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) इस सड़ी हुई दुनिया और सड़े हुए शरीर से ममत्व निकाल एक बाप को और घर को याद करना है। शूद्रों के संग से अपनी सम्भाल करनी है।
2) विकर्माजीत बनने के लिए अमृतवेले उठ याद में बैठना है। इस शरीर से डिटैच होने का अभ्यास करना है।

वरदान: सुख स्वरूप बन सबको सुख देने वाले मास्टर सुखदाता भव

संगमयुगी ब्राह्मण अर्थात् दु:ख का नाम-निशान नहीं क्योंकि सुखदाता के बच्चे मास्टर सुखदाता हो। जो मास्टर सुखदाता, सुख स्वरूप हैं वह स्वयं दु:ख में कैसे आ सकते हैं। बुद्धि से दु:खधाम का किनारा कर लिया। वे स्वयं तो सुख स्वरूप रहते ही हैं लेकिन औरों को भी सदा सुख देते हैं। जैसे बाप हर आत्मा को सदा सुख देते हैं ऐसे जो बाप का कार्य वो बच्चों का कार्य। कोई दु:ख दे रहा है तो भी आप दु:ख नहीं दे सकते, आपका स्लोगन है ''ना दु:ख दो, ना दु:ख लो।''

स्लोगन: हर्षित और गम्भीर बनने के बैलेन्स को धारण कर एकरस स्थिति में स्थित रहो।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....