Saturday, March 24, 2012

Murli [15-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - एक बाप से सच्चा-सच्चा लव रखो, उनकी मत पर चलो तो बाकी सब मित्र सम्बन्धियों आदि से ममत्व टूट जायेगा''

प्रश्न: बाप के सिवाए कौन से शब्द कोई भी मनुष्य बोल नहीं सकता है?
उत्तर: मैं तुम आत्माओं का बाप तुम्हें पढ़ाने आया हूँ, मैं तुम्हें अपने साथ वापिस ले जाऊंगा। ऐसे शब्द बोलने की ताकत बाप के सिवाए किसी भी मनुष्य में नहीं। तुम्हें निश्चय है - यह नया ज्ञान नई विश्व के लिए है, जो स्वयं रूहानी बाप हमें पढ़ाते हैं, हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं।

गीत:- भोलेनाथ से निराला..

धारणा के लिए मुख्य सार:
1) किसी भी सम्बन्ध में मोह नहीं लटकाना है। अन्दर की सच्चाई सफाई से निर्बन्धन बनना है। विकर्मो का हिसाब चुक्तू करना है।
2) मीठी जबान और युक्तियुक्त बोल से सेवा करनी है। पुरुषार्थ कर अच्छे नम्बर से पास होना है।

वरदान: ज्ञान और योग के बल द्वारा माया की शक्ति पर विजय प्राप्त करने वाले मायाजीत, जगतजीत भव

दुनिया में साइन्स का भी बल है, राज्य का भी बल है और भक्ति का भी बल है लेकिन आपके पास है ज्ञान बल और योग बल। यह सबसे श्रेष्ठ बल है। यह योगबल माया पर सदा के लिए विजयी बनाता है। इस बल के आगे माया की शक्ति कुछ भी नहीं है। मायाजीत आत्मायें कभी स्वप्न में भी हार नहीं खा सकती। उनके स्वप्न भी शक्तिशाली होंगे। तो सदा यह स्मृति रहे कि हम योगबल वाली आत्मायें सदा विजयी हैं और विजयी रहेंगे।

स्लोगन: कर्म करते कर्म के बन्धनों से मुक्त रहना ही फरिश्ता बनना है।

In Spiritual Service,
Brahma Kumaris....