Wednesday, March 7, 2012

Murli [7-03-2012]-Hindi

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - ज्ञान मार्ग में तुम्हारे ख्यालात बहुत शुद्ध होने चाहिए। सच्ची कमाई में झूठ बोला, कुछ उल्टा किया तो बहुत घाटा पड़ जायेगा''
प्रश्न: जो तकदीरवान बच्चे ऊंच पद पाने वाले हैं, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर: उनसे कोई भी खराब काम नहीं होगा। यज्ञ की सेवा में हड्डी-हड्डी लगायेंगे। उनमें कोई भी लोभ आदि नहीं होगा। 2. वह बहुत सुखदाई होंगे। मुख से सदैव ज्ञान रत्न निकालेंगे। बहुत मीठा होंगे। 3. वह इस पुरानी दुनिया को जैसे देखते हुए भी देखते नहीं। उनके अन्दर यह ख्याल नहीं आयेगा जो तकदीर में होगा, देखा जायेगा! बाबा कहते ऐसे बच्चे कोई काम के नहीं। तुम्हें तो बहुत अच्छा पुरुषार्थ करना है।
गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) मीठा बन, माँ बाप का शो करना है। कडुवापन जरा भी है तो उसे निकाल देना है। बाप जैसा मीठा लवली जरूर बनना है।
2) कोई भी काम श्रीमत के बिना नहीं करना है। श्रीमत में ही सच्ची कमाई है।
वरदान: प्रवृत्ति में रहते लौकिकता से न्यारे रह प्रभू का प्यार प्राप्त करने वाले लगावमुक्त भव
प्रवृत्ति में रहते लक्ष्य रखो कि सेवा-स्थान पर सेवा के लिए हैं, जहाँ भी रहते वहाँ का वातावरण सेवा स्थान जैसा हो, प्रवृत्ति का अर्थ ही पर-वृत्ति में रहने वाले अर्थात् मेरापन नहीं, बाप का है तो पर-वृत्ति है। कोई भी आये तो अनुभव करे कि ये न्यारे और प्रभु के प्यारे हैं। किसी में भी लगाव न हो। वातावरण लौकिक नहीं, अलौकिक हो, कहना और करना समान हो तब नम्बरवन मिलेगा।
स्लोगन: सदा खजानों से सम्पन्न और सन्तुष्ट रहो तो परिस्थितियां आयेंगी और बदल जायेंगी।