Wednesday, April 29, 2015
मुरली 29 अप्रैल 2015
“मीठे बच्चे - अब नाटक पूरा होता है, वापिस घर जाना है, कलियुग अन्त के बाद फिर सतयुग रिपीट होगा, यह राज सभी को समझाओ |”
प्रश्न:-
आत्मा पार्ट बजाते-बजाते थक गई है, थकावट का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:-
बहुत भक्ति की, अनेक मन्दिर बनाये, पैसा खर्च किया, धक्के खाते-खाते सतोप्रधान आत्मा तमोप्रधान बन गई। तमोप्रधान होने के कारण ही दु:खी हुई। जब किसी बात से कोई तंग होता है तब थकावट होती है। अभी बाप आये हैं सब थकावट मिटाने।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) सदा हर्षित रहने के लिए बुद्धि में पढ़ाई और पढ़ाने वाले बाप की याद रहे। खाते पीते सब काम करते पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है।
2) बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए श्रीमत पर बहुतों को आप समान बनाने की सर्विस करनी है। किसी को भी तंग नहीं करना है।
वरदान:-
कल्प-कल्प के विजय की स्मृति के आधार पर माया दुश्मन का आह्वान करने वाले महावीर विजयी भव!
महावीर विजयी बच्चे पेपर को देखकर घबराते नहीं क्योंकि त्रिकालदर्शी होने के कारण जानते हैं कि हम कल्प-कल्प के विजयी हैं। महावीर कभी ऐसे नहीं कह सकते कि बाबा हमारे पास माया को न भेजो-कृपा करो, आशीर्वाद करो, शक्ति दो, क्या करूं कोई रास्ता दो....यह भी कमजोरी है। महावीर तो दुश्मन का आह्वान करते हैं कि आओ और हम विजयी बनें।
स्लोगन:-
समय की सूचना है-समान बनो सम्पन्न बनो।
ओम् शांति ।