Sunday, April 19, 2015

मुरली 20 अप्रैल 2015


“मीठे बच्चे - सुख और दुःख के खेल को तुम ही जानते हो, आधाकल्प है दुःख, बाप दुःख हरने सुख देने आते हैं |”   प्रश्न:-कई बच्चे किस एक बात में अपनी दिल को खुश कर मिया मिट्ठू बनते हैं?
उत्तर:-कई समझते हैं हम सम्पूर्ण बन गये, हम कम्पलीट तैयार हो गये। ऐसे समझ अपने दिल को खुश कर लेते हैं। यह भी मिया मिट्ठू बनना है। बाबा कहते- मीठे बच्चे अभी बहुत पुरूषार्थ करना है। तुम पावन बन जायेंगे तो फिर दुनिया भी पावन चाहिए। राजधानी स्थापन होनी है, एक तो जा नहीं सकता।
गीतः तुम्हीं हो माता, तुम्हीं पिता हो...
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) बाप में जो गुण हैं, वह स्वयं में भरने हैं। इम्तहान के पहले पुरूषार्थ कर स्वयं को कम्पलीट पावन बनाना है, इसमें मिया मिट्ठू नहीं बनना है।
2) स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है। बाप और चक्र को याद करना है। बेहद बाप द्वारा बेहद की बातें सुनकर अपनी बुद्धि बेहद में रखनी है। हद में नहीं आना है।
वरदान:-
हर कदम में पदमों की कमाई जमा करने वाले सर्व खजानों से सम्पन्न वा तृप्त आत्मा भव!  
जो बच्चे बाप की याद में रहकर हर कदम उठाते हैं वह कदम-कदम में पदमों की कमाई जमा करते हैं। इस संगम पर ही पदमों के कमाई की खान मिलती है। संगमयुग है जमा करने का युग। अभी जितना जमा करना चाहो उतना कर सकते हो। एक कदम अर्थात् एक सेकण्ड भी बिना जमा के न जाए अर्थात् व्यर्थ न हो। सदा भण्डारा भरपूर हो। अप्राप्त नहीं कोई वस्तु...ऐसे संस्कार हों। जब अभी ऐसी तृप्त वा सम्पन्न आत्मा बनेंगे तब भविष्य में अखुट खजानों के मालिक होंगे।
स्लोगन:-
कोई भी बात में अपसेट होने के बजाए नॉलेजफुल की सीट पर सेट रहो।  
ओम् शांति ।