Thursday, April 9, 2015

मुरली 10 अप्रैल 2015

“मीठे बच्चे - सबसे अच्छा दैवीगुण है शान्त रहना, अधिक आवाज़ में न आना, मीठा बोलना, तुम बच्चे अभी टॉकी से मूवी, मूवी से साइलेन्स में जाते हो, इसलिए अधिक आवाज़ में न आओ ।” प्रश्न:- किस मुख्य धारणा के आधार से सर्व दैवीगुण स्वतः आते जायेंगे? उत्तर:- मुख्य है पवित्रता की धारणा। देवतायें पवित्र हैं, इसलिए उनमें दैवीगुण हैं। इस दुनिया में कोई में भी दैवीगुण नहीं हो सकते। रावण राज्य में दैवीगुण कहाँ से आये। तुम रॉयल बच्चे अभी दैवण धारण कर रहे हो। गीतः- भोलेनाथ से निराला ............... धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) किसी से भी बहुत नम्रता और धीरे से बातचीत करनी है। बोलचाल बहुत मीठा हो। साइलेन्स का वातावरण हो। कोई भी आवाज़ न हो तब सर्विस की सफलता होगी। 2) सच्चा- सच्चा आशिक बन एक माशुक को याद करना है। याद में कभी आंखे बन्द कर कांध नीचे करके नहीं बैठना है। देही- अभिमानी होकर रहना है। वरदान:- अव्यभिचारी और निर्विघ्न स्थिति द्वारा फर्स्ट जन्म की प्रालब्ध प्राप्त करने वाले समीप और समान भव! जो बच्चे यहाँ बाप के गुण और संस्कारों के समीप हैं, सर्व सम्बन्धों से बाप के साथ का वा समानता का अनुभव करते हैं वही वहाँ रायल कुल में फर्स्ट जन्म के सम्बन्ध में समीप आते हैं। 2- फर्स्ट में वही आयेंगे जो आदि से अब तक अव्यभिचारी और निर्विघ्न रहे हैं। निर्विघ्न का अर्थ यह नहीं है कि विघ्न आये ही नहीं लेकिन विघ्न- विनाशक वा विघ्नों के ऊपर सदा विजयी रहें। यह दोनों बातें यदि आदि से अन्त तक ठीक हैं तो फर्स्ट जन्म में साथी बनेंगे। स्लोगन:- साइलेन्स की पॉवर से निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन करो। ओम् शांति ।