मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम बेहद के बाप पास आये हो विकारी से निर्विकारी बनने,
प्रश्न:- बाप अभी तुम्हें ऐसी कौन-सी पढ़ाई पढ़ाते हैं जो सारे कल्प में नहीं पढ़ाई जाती?
उत्तर:- नई राजधानी स्थापन करने की पढ़ाई, मनुष्य को राजाई पद देने की पढ़ाई इस
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं भगवान टीचर बनकर पढ़ाते हैं इसलिए अच्छी रीति पढ़ना है। स्कॉलरशिप
2) अन्दर में काम, क्रोध आदि के जो भी भूत प्रवेश हैं, उन्हें निकालना है। एम
वरदान:- सर्व वरदानों को समय पर कार्य में लगाकर फलीभूत बनाने वाले फल स्वरूप भव
बापदादा द्वारा समय प्रति समय जो भी वरदान मिले हैं, उन्हें समय पर कार्य में लगाओ।
स्लोगन:- जिनकी नज़रों में बाप है उन्हें माया की नज़र लग नहीं सकती।
इसलिए तुम्हारे में कोई भी भूत नहीं होना चाहिए''
प्रश्न:- बाप अभी तुम्हें ऐसी कौन-सी पढ़ाई पढ़ाते हैं जो सारे कल्प में नहीं पढ़ाई जाती?
उत्तर:- नई राजधानी स्थापन करने की पढ़ाई, मनुष्य को राजाई पद देने की पढ़ाई इस
समय सुप्रीम बाप ही पढ़ाते हैं। यह नई पढ़ाई सारे कल्प में नहीं पढ़ाई जाती। इसी
पढ़ाई से सतयुगी राजधानी स्थापन हो रही है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं भगवान टीचर बनकर पढ़ाते हैं इसलिए अच्छी रीति पढ़ना है। स्कॉलरशिप
लेने के लिए पवित्र बनकर दूसरों को पवित्र बनाने की सेवा करनी है।
2) अन्दर में काम, क्रोध आदि के जो भी भूत प्रवेश हैं, उन्हें निकालना है। एम
ऑबजेक्ट को सामने रखकर पुरूषार्थ करना है।
वरदान:- सर्व वरदानों को समय पर कार्य में लगाकर फलीभूत बनाने वाले फल स्वरूप भव
बापदादा द्वारा समय प्रति समय जो भी वरदान मिले हैं, उन्हें समय पर कार्य में लगाओ।
सिर्फ वरदान सुनकर खुश नहीं हो कि आज बहुत अच्छा वरदान मिला। वरदान को काम
में लगाने से वरदान कायम रहते हैं। वरदान तो अविनाशी बाप के हैं लेकिन उसे फलीभूत
करना है। इसके लिए वरदान को बार-बार स्मृति का पानी दो, वरदान के स्वरूप में स्थित
होने की धूप दो तो वरदानों के फल स्वरूप बन जायेंगे।
स्लोगन:- जिनकी नज़रों में बाप है उन्हें माया की नज़र लग नहीं सकती।