Wednesday, October 1, 2014

Murli-(29-09-2014)-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप कल्प-कल्प आकर तुम बच्चों को अपना परिचय देते हैं, 
तुम्हें भी सबको बाप का यथार्थ परिचय देना है'' 

प्रश्न:- बच्चों के किस प्रश्न को सुनकर बाप भी वन्डर खाते हैं? 
उत्तर:- बच्चे कहते हैं - बाबा आपका परिचय देना बहुत मुश्किल है। हम आपका परिचय 
कैसे दें? यह प्रश्न सुनकर बाप को भी वन्डर लगता है। जब तुम्हें बाप ने अपना परिचय 
दिया है तो तुम भी दूसरों को दे सकते हो, इसमें मुश्किलात की बात ही नहीं। यह तो बहुत 
सहज है। हम सब आत्मायें निराकार हैं तो जरूर उनका बाप भी निराकार होगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मैं आत्मा अकाल तख्त नशीन हूँ, इस स्मृति में रहना है, हद और बेहद से पार जाना 
है इसलिए हदों में बुद्धि नहीं फँसानी है। 

2) बेहद बाप से बेहद की मिलकियत मिलती है, इस नशे में रहना है। कर्म-अकर्म-विकर्म 
की गति को जान विकर्मों से बचना है। पढ़ाई के समय धन्धे आदि से बुद्धि निकाल लेनी है।
 
वरदान:- वरदाता द्वारा सर्वश्रेष्ठ सम्पत्ति का वरदान प्राप्त करने वाले सम्पत्तिवान भव 

किसी के पास अगर सिर्फ स्थूल सम्पत्ति है तो भी सदा सन्तुष्ट नहीं रह सकते। स्थूल 
सम्पत्ति के साथ अगर सर्व गुणों की सम्पत्ति, सर्व शक्तियों की सम्पत्ति और ज्ञान की 
श्रेष्ठ सम्पत्ति नहीं है तो सन्तुष्टता सदा नहीं रह सकती। आप सबके पास तो यह सब 
श्रेष्ठ सम्पत्तियाँ हैं। दुनिया वाले सिर्फ स्थूल सम्पत्ति वाले को सम्पत्तिवान समझते हैं 
लेकिन वरदाता बाप द्वारा आप बच्चों को सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान भव का वरदान 
मिला हुआ है। 

स्लोगन:- सच्ची साधना द्वारा हाय-हाय को वाह-वाह में परिवर्तन करो।