Thursday, October 30, 2014

Murli-31/10/2014-Hindi

31-10-14        प्रातः मुरली       ओम् शान्ति       “बापदादा”        मधुबन   मीठे बच्चे - “बाप की एक नजर मिलने से सारे विश्व के मनुष्य-मात्र निहाल हो जाते हैं, इसलिए कहा जाता है नज़र से निहाल..... ''  प्रश्न:-    तुम बच्चों की दिल में खुशी के नगाड़े बजने चाहिए - क्यों? उत्तर:- क्योंकि तुम जानते हो - बाबा आया है सबको साथ ले जाने । अब हम अपने बाप के साथ घर जायेंगे । हाहाकार के बाद जयजयकार होने वाली है । बाप की एक नजर से सारे विश्व को मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा मिलने वाला है । सारी विश्व निहाल हो जायेगी । ओम् शान्ति | रूहानी शिवबाबा बैठ अपने रूहानी बच्चों को समझाते है । यह तो जानते हो कि तीसरा नेत्र भी होता है । बाप जानते हैं सारी दुनिया की जो भी आत्मायें हैं, सबको मैं वर्सा देने आया हूँ । बाप की दिल में तो वर्सा ही याद होगा । लौकिक बाप की भी दिल में वर्सा ही याद होगा । बच्चों को वर्सा देंगे । बच्चा नहीं होता है तो मूँझते है, किसको दे । फिर एडाप्ट कर लेते हैं । यहाँ तो बाप बैठे हैं, इनकी तो सारे दुनिया की जो भी आत्मायें हैं, सब तरफ नजर जाती है । जानते हैं सबको मुझे वर्सा देना है । भल बैठे यहाँ हैं परन्तु नजर सारे विश्व पर और सारे विश्व के मनुष्य मात्र पर है क्योंकि सारे विश्व को ही निहाल करना होता है । बाप समझाते हैं यह है पुरूषोत्तम संगमयुग । तुम जानते हो बाबा आया हुआ है सबको शान्तिधाम, सुखधाम ले जाने । सब निहाल हो जाने वाले हैं । ड़ामा के प्लैन अनुसार कल्प-कल्प निहाल हो जायेंगे । बाप सब बच्चों को याद करते हैं । नज़र तो जाती है ना । सब नहीं पढ़ेंगे । ड्रामा प्लैन अनुसार सबको वापिस जाना है क्योंकि नाटक पूरा होता है । थोड़ा आगे चलेंगे तो खुद भी समझ जायेंगे अब विनाश होता है । अब नई दुनिया की स्थापना होनी है क्योंकि आत्मा तो फिर भी चैतन्य है ना । तो बुद्धि में आ जायेगा - बाप आया हुआ है । पैराडाइज स्थापन होगा और हम शान्तिधाम में चले जायेंगे । सबकी गति होगी ना । बाकी तुम्हारी सद्गति होगी । अभी बाबा आया हुआ है । हम स्वर्ग में जायेंगे । जयजयकार हो जायेगी । अभी तो बहुत हाहाकार है । कहाँ अकाल पड़ रहा है, कहाँ लड़ाई चल रही है, कहाँ भूकम्प होते हैं । हजारों मरते रहते हैं । मौत तो होना ही है । सतयुग में यह बातें होती नहीं । बाप जानते हैं अब मैं जाता हूँ फिर सारे विश्व में जयजयकार हो जायेगी । मैं भारत में ही जाऊँगा । सारे विश्व में भारत जैसे गाँव है । बाबा के लिए तो गाँव ठहरा । बहुत थोडे मनुष्य होंगे । सतयुग में सारी विश्व जैसे एक छोटा गाँव था । अभी तो कितनी वृद्धि हो गई है । बाप की बुद्धि में तो सब है ना । अब इस शरीर द्वारा बच्चों को समझा रहे हैं । तुम्हारा पुरूषार्थ वही चलता है जो कल्प-कल्प चलता है । बाप भी कल्प वृक्ष का बीजरूप है । यह है कारपोरियल झाड़ । ऊपर में है इनकारपोरियल झाड़ । तुम जानते हो यह कैसे बना हुआ है । यह समझ और कोई मनुष्य में नहीं है । बेसमझ और समझदारों का फर्क देखो । कहाँ समझदार स्वर्ग में राज्य करते थे, उनको कहा ही जाता है सचखण्ड, हेविन । अभी तुम बच्चों को अन्दर में बड़ी खुशी होनी चाहिए । बाबा आया हुआ है, यह पुरानी दुनिया तो जरूर बदलेगी । जितना-जितना जो पुरूषार्थ करेंगे, उतना पद पायेंगे । बाप तो पढ़ा रहे हैं । यह तुम्हारी स्कूल तो बहुत वृद्धि को पाती रहेगी । बहुत हो जायेंगे । सबका स्कूल इकट्ठा थोड़ेही होगा । इतने रहेगे कहाँ? तुम बच्चों को याद है- अभी हम जाते हैं सुखधाम । जैसे कोई भी विलायत में जाते है तो 8-10 वर्ष जाकर रहते है ना । फिर आते हैं भारत में । भारत तो गरीब है । विलायत वालों को यहाँ सुख नहीं आयेगा । वैसे तुम बच्चों को भी यहाँ सुख नहीं है । तुम जानते हो हम बहुत ऊँची पढ़ाई पढ़ रहे हैं, जिससे हम स्वर्ग के मालिक देवता बनते है । वहाँ कितने सुख होंगे । उस सुख को सभी याद करते है । यह गाँव (कलियुग) तो याद भी नहीं आ सकता, इनमें तो अथाह दु :ख हैं । इस रावण राज्य, पतित दुनिया में आज अपरमअपार दुःख है कल फिर अपरमअपार सुख होंगे । हम योगबल से अथाह सुख वाली दुनिया स्थापन कर रहे हैं । यह राजयोग है ना । बाप खुद कहते हैं मैं तुमको राजाओं का राजा बनाता हूँ । तो ऐसा बनाने वाले टीचर को याद करना चाहिए ना । टीचर बिगर बैरिस्टर, इंजीनियर आदि थोड़ेही बन सकते हैं । यह फिर है नई बात । आत्माओं को योग लगाना है परमात्मा बाप के साथ, जिससे ही बहुत समय अलग रहे हैं । बहुकाल क्या? वह भी बाप आपेही समझाते रहते हैं । मनुष्य तो लाखों वर्ष आयु कह देते हैं । बाप कहते हैं-नहीं, यह तो हर 5 हजार वर्ष बाद तुम जो पहले-पहले बिछुड़े हो वही आकर बाप से मिलते हो । तुमको ही पुरूषार्थ करना है । मीठे-मीठे बच्चों को कोई तकलीफ नहीं देते हैं, सिर्फ कहते हैं अपने को आत्मा समझो । जीव आत्मा है ना । आत्मा अविनाशी है, जीव विनाशी है । आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है, आत्मा कभी पुरानी नहीं होती है । वन्डर है ना । पढ़ाने वाला भी वन्डरफुल, पढ़ाई भी वन्डरफुल है । किसको भी याद नहीं, भूल जाती है । आगे जन्म में क्या पढ़ते थे, किसको याद है क्या? इस जन्म में तुम पढते हो, रिजल्ट नई दुनिया में मिलती है । यह सिर्फ तुम बच्चों को पता है । यह याद रहना चाहिए- अभी यह पुरूषोत्तम संगमयुग है, हम नई दुनिया में जाने वाले हैं । यह याद रहे तो भी तुमको बाप की याद रहेगी । याद के लिए बाप अनेक उपाय बताते हैं । बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है । तीनों रूप में याद करो । कितनी युक्तियाँ दे रहे हैं याद करने की । परन्तु माया भुला देती है । बाप जो नई दुनिया स्थापन करते हैं, बाप ने ही बताया है यह पुरूषोत्तम संगमयुग है, यह याद करो फिर भी याद क्यों नहीं कर सकते हो! युक्तियाँ बतलाते हैं याद की । फिर साथ-साथ कहते भी हैं माया बड़ी दुश्तर है । घडी-घड़ी तुमको भुलायेगी और देह- अभिमानी बना देगी इसलिए जितना हो सके याद करते रहो । उठते-बैठते, चलते-फिरते देह के बदले अपने को देही समझो । यह है मेहनत । नॉलेज तो बहुत सहज है । सब बच्चे कहते हैं याद ठहरती नहीं । तुम बाप को याद करते हो, माया फिर अपनी तरफ खीँच लेती है । इस पर ही यह खेल बना हुआ है । तुम भी समझते हो हमारा बुद्धियोग जो बाप के साथ और पढाई की सबजेक्ट में होना चाहिए, वह नहीं है, भूल जाते हैं । परन्तु तुम्हें भूलना नहीं चाहिए । वास्तव में इन चित्रों की भी दरकार नहीं है । परन्तु पढ़ाने समय कुछ तो आगे चाहिए ना । कितने चित्र बनते रहते हैं । पाण्डव गवर्मेन्ट के प्लैन देखो कैसे हैं । उस गवर्मेन्ट के भी प्लैन हैं । तुम समझते हो नई दुनिया में सिर्फ भारत ही था, बहुत छोटा था । सारा भारत विश्व का मालिक था । एवरीथिंग न्यु होती है । दुनिया तो एक ही है । एक्टर्स भी वही है, चक्र फिरता जाता है । तुम गिनती करेंगे, इतने सेकण्ड, इतने घण्टे, दिन, वर्ष पूरे हुए फिर चक्र फिरता रहेगा । आजकल करते-करते 5 हजार वर्ष पूरे हो गये हैं । सब सीन-सीनरी, खेलपाल होते आते हैं । कितना बडा बेहद का झाड़ है । झाड़ के पत्ते तो गिन नहीं सकते हैं । यह झाड़ है । इसका फाउन्डेशन देवी देवता धर्म है, फिर यह तीन ट्यूब्स (धर्म) मुख्य निकले हुए है । बाकी झाड़ के पत्ते तो कितने ढेर है । कोई की ताकत नहीं जो गिनती कर सके । इस समय सब धर्मो के झाड़ वृद्धि को पा चुके हैं । यह बेहद का बड़ा झाड़ है । यह सब धर्म फिर नहीं रहेंगे । अभी सारा झाड़ खड़ा है बाकी फाउन्डेशन है नहीं । बनेन ट्री का मिसाल बिल्कुल एक्यूरेट है । यह एक ही वन्डरफुल झाड़ है, बाप ने दृष्टान्त भी ड़ामा में यह रखा है समझाने के लिए । फाउन्डेशन है नहीं । तो यह समझ की बात है । बाप ने तुमको कितना समझदार बनाया है । अभी देवता धर्म का फाउन्डेशन है नहीं । बाकी कुछ निशानियाँ हैं- आटे में नमक । प्राय : यह निशानियाँ बाकी रही हैं । तो बच्चों की बुद्धि में यह सारा ज्ञान आना चाहिए । बाप की भी बुद्धि में नॉलेज है ना । तुमको भी सारा नॉलेज दे आपसमान बना रहे हैं । बाप बीजरूप है और यह उल्टा झाड़ है । यह बडा बेहद का ड़ामा है । अभी तुम्हारी बुद्धि ऊपर चली गई है । तुमने बाप को और रचना को जान लिया है । भल शास्त्रों में है ऋषि-मुनि कैसे जानेंगे । एक भी जानता हो तो परम्परा चले । दरकार ही नहीं । जबकि सद्गति हो जाती है, बीच में कोई भी वापस नहीं जा सकता । नाटक पूरा हो तब तक सब एक्टर्स यहाँ होने हैं, जब तक बाप यहाँ है, जब वहाँ बिल्कुल खाली हो जायेंगे तब तो शिवबाबा की बरात जायेगी । पहले से तो नहीं जाकर बैठेंगे । तो बाप सारी नॉलेज बैठ देते है । यह वर्ल्ड का चक्र कैसे रिपीट होता है । सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलियुग फिर संगम होता है । गायन है परन्तु संगमयुग कब होता है, यह किसको पता नहीं है । तुम बच्चे समझ गये हो - 4 युग हैं । यह है लीप युग, इनको मिडगेट कहा जाता है । कृष्ण को भी मिडगेट दिखाते हैं । तो यह है नॉलेज । नॉलेज को मोड़-तोड़कर भक्ति में क्या बना दिया है । ज्ञान का सारा सूत मूँझा हुआ है । उनको समझाने वाला तो एक ही बाप है । प्राचीन राजयोग सिखलाने लिए विलायत में जाते हैं । वह तो यह है ना । प्राचीन अर्थात् पहला । सहज राजयोग सिखलाने बाप आये हैं । कितना अटेन्शन रहता है । तुम भी अटेन्शन रखते हो कि स्वर्ग स्थापन हो जाए । आत्मा को याद तो आता है ना । बाप कहते हैं यह नॉलेज जो मैं अभी तुमको देता हूँ फिर मैं ही आकर दूँगा । यह नई दुनिया के लिए नया ज्ञान है । यह ज्ञान बुद्धि में रहने से खुशी बहुत होती है । बाकी थोडा टाइम है । अब चलना है । एक तरफ खुशी होती है दूसरे तरफ फिर फील भी होता है । अरे, ऐसा मीठा बाबा हम फिर कल्प बाद देखेगे । बाप ही बच्चों को इतना सुख देते हैं ना । बाप आते ही हैं - शान्तिधाम-सुखधाम में ले जाने । तुम शान्तिधाम-सुखधाम को याद करो तो बाप भी याद आयेगा । इस दुःखधाम को भूल जाओ । बेहद का बाप बेहद की बात सुनाते हैं । पुरानी दुनिया से तुम्हारा ममत्व निकलता जायेगा तो खुशी भी होगी । तुम रिटर्न में फिर सुखधाम में जाते हो । सतोप्रधान बनते जायेंगे । कल्प- कल्प जो बने हैं वही बनेंगे और उनकी ही खुशी होगी फिर यह पुराना शरीर छोड देंगे । फिर नया शरीर लेकर सतोप्रधान दुनिया में आयेंगे । यह नॉलेज खलास हो जायेगी । बातें तो बहुत सहज हैं । रात को सोने समय ऐसे-ऐसे सिमरण करो तो भी खुशी रहेगी । हम यह बन रहे हैं । सारे दिन में हमने कोई शैतानी तो नहीं की? 5 विकारों से कोई विकार ने हमको सताया तो नहीं? लोभ तो नहीं आया? अपने ऊपर जाँच रखनी है । अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. योगबल से अथाह सुखों वाली दुनिया स्थापन करनी है । इस दुःख की पुरानी दुनिया को भूल जाना है । खुशी रहे कि हम सच खण्ड के मालिक बन रहे हैं । 2. रोज अपनी जाँच करनी है कि सारे दिन में कोई विकार ने सताया तो नहीं? कोई शैतानी काम तो नहीं किया? लोभ के वश तो नहीं हुए। वरदान:-  परमात्म दुलार को प्राप्त करने वाले अब के सो भविष्य के राज दुलारे भव  संगमयुग पर आप भाग्यवान बच्चे ही दिलाराम के दुलार के पात्र हो । यह परमात्म दुलार कोटों में कोई आत्माओं को ही प्राप्त होता है । इस दिन दुलार द्वारा राज दुलारे बन जाते हो । राजदुलारे अर्थात् अब भी राजे और भविष्य के भी राजे | भविष्य से भी पहले अब स्वराज्य अधिकारी बन गये । जैसे भविष्य राज्य की महिमा है एक राज्य, एक धर्म ऐसे अभी सर्व कमेंन्द्रियों पर आत्मा का एक छत्र राज्य है । स्लोगन:-  अपनी सूरत से बाप की सीरत दिखाने वाले ही परमात्म स्नेही हैं | ओम् शान्ति |