Sunday, December 13, 2015

मुरली 13 दिसंबर 2015

13-12-15 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:11-03-81 मधुबन

“सफलता के दो मुख्य आधार”
आज खुदा दोस्त अपने बच्चों से फ्रैण्ड के रूप में मिल रहे हैं। एक खुदा दोस्त के कितने फ्रैण्ड होंगे? वैसे भी फारेनर्स फ्रैण्डशिप को ज्यादा पसन्द करते हैं। तो बापदादा बाप भी है, सतगुरू भी है, शिक्षक भी है, सर्व सम्बन्ध निभाने वाले हैं। आप सबको सबसे ज्यादा प्यारा सम्बन्ध कौन-सा लगता है? किसको टीचर अच्छा लगता, किसको साजन अच्छा लगता, किसको फ्रैण्ड अच्छा लगता है, लेकिन है तो एक ही ना इसलिए एक से कोई भी सम्बन्ध निभाने से सर्व प्राप्ति हो ही जायेगी। यही एक जादूगरी है। जो एक से ही जो चाहो वह सम्बन्ध निभा सकते हो। और कहाँ जाने की आवश्यकता ही नहीं। इससे कोई और मिले यह इच्छा खत्म हो जाती है। सर्व सम्बन्ध की प्रीत निभाने के अनुभवी हो चुके हो? हो चुके हो या अभी होना है? क्या समझते हो! पूर्ण अनुभवी बन चुके हो? आज आफीशियल मुरली चलाने नहीं आये हैं। बापदादा भी अपने सर्व सम्बन्धों से दूर-दूर से आई हुई आत्माओं को देख हर्षित हो रहे हैं। सबसे दूरदेशी कौन हैं? आप तो फिर भी साकारी लोक से आये हो, बापदादा आकारी लोक से भी परे निराकारी वतन से आकारी लोक में आये फिर साकार लोक में आये हैं। तो सबसे दूरदेशी बाप हुआ या आप हुए? इस लोक के हिसाब से जो सबसे ज्यादा दूर से आये हैं उन्हों को भी बापदादा स्नेह से मुबारक दे रहे हैं। सबसे दूर से आने वाले हाथ उठाओ। जितना दूर से आये हो, जितने माइल चलकर आये हो उतने माइल से पदमगुणा एड करके मुबारक स्वीकार करें।

फॉरेनर्स अर्थात् फॉर-एवर। ऐसे वरदानी हो ना? फॉरेनर्स नहीं लेकिन फॉर-एवर। सदा सेवा के लिए एवररेडी। डायरेक्शन मिला और चल पड़े, यह है फॉर एवर ग्रुप की विशेषता। अभी-अभी अनुभव किया और अभी-अभी अनुभव कराने के लिए हिम्मत रख सेवा पर उपस्थित हो जाते। यह देख बापदादा भी अति हर्षित होते हैं। एक से अनेक सेवाधारी निमित्त बन गये। सेवा की सफलता के विशेष दो आधार हैं, वह जानते हो? (कई उत्तर निकले) सबके उत्तर अपने अनुभव के हिसाब से बहुत राइट हैं। वैसे सेवा में वा स्वयं की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ। ऐसी लवलीन आत्मा एक शब्द भी बोलती है तो उसके स्नेह के बोल दूसरी आत्मा को भी स्नेह में बांध देते हैं। ऐसी लवलीन आत्मा का एक ‘बाबा’ शब्द ही जादू की वस्तु का काम करता है। लवलीन आत्मा रूहानी जादूगर बन जाती है। एक बाप का लव अर्थात् लवलीन आत्मा। दूसरा सफलता का आधार - हर ज्ञान की प्वाइन्ट के अनुभवी मूर्त होना। जैसे ड्रामा की प्वाइन्ट देते हैं, तो एक होता है नॉलेज के आधार पर प्वाइन्ट देना। दूसरा होता है, अनुभवी मूर्त होकर प्वाइन्ट देना। ड्रामा की प्वाइन्ट के जो अनुभवी होंगे वह सदा साक्षीपन की स्टेज पर स्थित होंगे। एक रस, अचल और अडोल होंगे। ऐसी स्थिति में स्थित रहने वाले को अनुभवी मूर्त कहा जाता है। रिजल्ट में बाहर के रूप से भले अच्छा हो या बुरा हो लेकिन ड्रामा के प्वाइन्ट की अनुभवी आत्मा कभी भी बुरे में भी बुराई को न देख अच्छाई ही देखेगी अर्थात् स्व के कल्याण का रास्ता दिखाई देगा। अकल्याण का खाता खत्म हुआ। कल्याणकारी बाप के बच्चे होने कारण, कल्याणकारी युग होने के कारण अब कल्याण का खाता आरम्भ हो चुका है। इस नॉलेज और अनुभव की अथॉरिटी से सदा अचल रहेंगे। अगर गिनती करो तो आप सबके पास कितने प्रकार की अथॉरिटीज हैं। और आत्माओं के पास एक दो अथॉरिटी होंगी। किसको साइन्स की, किसको शास्त्रों की, किसको डाक्टरी के नॉलेज की, किसको इन्जीनियरी के नॉलेज की अथॉररिटी होगी, आपको कौन सी अथॉरिटी हैं? लिस्ट निकालो तो बहुत लम्बी लिस्ट हो जायेगी। सबसे पहली अथॉरिटी वर्ल्ड आलमाइटी आपका हो गया तो वर्ल्ड की जो अथॉरिटीज हैं वह आपकी हो गई, ऐसे लिस्ट निकालो। वर्ल्ड के आदि मध्य अन्त के नॉलेज की अथॉरिटी, जिस नॉलेज के यादगार शास्त्र बाइबिल वा कुरान आदि सब हैं इसलिए गीता ज्ञान को सर्व शास्त्रों वा बुक्स का माई बाप कहते हैं। शिरोमणी कहा जाता है। डायरेक्ट गीता कौन सुन रहा है? (ब्राह्मण) तो अथॉरिटी हो गये ना! इसी प्रकार सर्व धर्मों में से नम्बरवन धर्म किसका है? आपके ब्राह्मण धर्म द्वारा ही सब धर्म पैदा होते हैं। ब्राह्मण धर्म तना है, और भी इस धर्म की विशेषता है। ब्राह्मण धर्म डायरेक्ट परमपिता का स्थापन किया हुआ है। और धर्म, धर्म पिताओं के हैं और यह धर्म परमपिता का है। वह बच्चों द्वारा हैं। सन आफ गाड कहते हैं। वह गाड नहीं हैं। तो डायरेक्ट परमपिता द्वारा श्रेष्ठ धर्म स्थापन हुआ, उस धर्म की अथॉरिटी हो। आदि पिता ब्रह्मा के डायरेक्ट मुख वंशावली की अथॉरिटी वाले हो। सर्वश्रेष्ठ कर्म के प्रैक्टिकल जीवन की अथॉरिटी हो। श्रेष्ठ कर्म की प्रालब्ध विश्व के अखण्ड राज्य के अधिकार की अथॉरिटी हो, भक्तों की अथॉरिटी हो। ऐसे और भी लिस्ट निकालो तो बहुत निकलेगा। समझा आप कितनी बड़ी अथॉरिटी हो! ऐसे अथॉरिटी वालों को बाप भी नमस्ते करते हैं। यह सबसे बड़ी अथॉरिटी है। ऐसे अथॉरिटी वालों को देख बापदादा भी हर्षित होते हैं।

सबने बहुत अच्छी मेहनत कर सेवा के कार्य को विस्तार में लाया है। अपने भटके हुए भाई-बहनों को रास्ता बताया है। प्यासी आत्माओं को शान्ति और सुख की अंचली दे तृप्त आत्मा बनाने का अच्छा पुरूषार्थ कर रहे हैं। बाप से किया हुआ वायदा प्रैक्टिकल में निभा के बाप के सामने गुलदस्ते लाये हैं, चाहे छोटे हैं वा बड़े हैं, लेकिन छोटे भी बाप को प्रिय हैं। अब यह वायदा तो निभाया है, और भी विस्तार को प्राप्त करते रहेंगे। कोई ने नेकलेस बनाके लाया है, कोई ने माला बनाके लाई है। कोई ने कंगन, कोई ने रिंग बनाके लाई है। तो सारी बापदादा की ज्वैलरी, एक-एक रत्न वैल्युबल रत्न है। ज्वैलरी तो बहुत बढ़िया लाई है बाप के सामने। अब आगे क्या करना है? ज्वैलरी को अब क्या करेंगे? (पॉलिश) मधुबन में आये हो तो पॉलिश हो ही जायेगी। अब शो केस में रखो। वर्ल्ड के शोकेस में यह ज्वैलरी चमकती हुई सभी को दिखाई दे। शोकेस में कैसे आयेंगे? बाप के सामने आये, ब्राह्मणों के सामने आये यह तो बहुत अच्छा हुआ। अब वर्ल्ड के सामने आवे। ऐसा प्लैन बनाओ जो वर्ल्ड के कोने-कोने से यह आवाज निकले कि यह भगवान के बच्चे कोने-कोने में प्रत्यक्ष हो चुके हैं। चारों ओर एक ही लहर फैल जाये। चाहे भारत में चाहे विदेश के कोने-कोने में। जैसे एक ही सूर्य वा चन्द्रमा समय के अन्तर में दिखाई तो एक ही देता है ना। ऐसे यह ज्ञान सूर्य के बच्चे कोने-कोने से दिखाई दें। ज्ञान सितारों की रिमझिम चारों ओर दिखाई दे। सबके संकल्प में, मुख में यही बात हो कि ज्ञान सितारे ज्ञान सूर्य के साथ प्रगट हो चुके हैं। तब सब तरफ का मिला हुआ आवाज़ चारों ओर गूंजेगा और प्रत्यक्षता का समय आयेगा। अभी तो गुप्त पार्ट चल रहा है। अब प्रत्यक्षता में लाओ। इसका प्लैन बनाओ फिर बापदादा भी बतायेंगे।

एक-एक रत्न की विशेषता वर्णन करें तो अनेक रातें बीत जाएं। हरेक बच्चे की विशेषता हरेक के मस्तक पर मणी के मुआफिक चमक रही है।

ऐसे सर्व विशेष आत्माओं को, सर्व सपूत अर्थात् सर्विस के सबूत देने वाले, सदा सेवा और याद में रहने वाले सर्विसएबुल मास्टर आलमाइटी अथॉरिटी, सर्व की मनोकामनायें पूर्ण करने वाली अति लवली, लवलीन बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

पार्टियों से अव्यक्त बापदादा की पर्सनल मुलाकात

न्यूजीलैण्ड पार्टी:- न्यूजीलैण्ड वालों को सदा क्या याद रहता है? न्यूजीलैण्ड को सदा याद रहे कि विश्व को न्यू न्यूज़ दें। न्यूजीलैण्ड को विश्व में रोज़ न्यूज़ देनी चाहिए। तो न्यूजीलैण्ड क्या बन जायेगा? सारी विश्व के लिए लाइट हाउस बन जायेगा। सबकी नज़र न्यूजीलैण्ड की तरफ जायेगी, कि कहाँ से यह न्यूज़ आई है। अभी भी देखो अखबारों में कोई न्यूज़ आती है तो सबका अटेन्शन कहाँ जाता हैं? यह न्यूज़ कहाँ से आई है? तो न्यूजीलैण्ड को यह कमाल करनी चाहिए। अब कोई नई बात करो, कोई नया प्लैन बनाओ। कमाल तो यह करो जो वहाँ से इतनी टीचर्स निकलें जो सब तरफ फैल जायें। फिर कहेंगे जैसा नाम है वैसा काम है। सभी बहुत-बहुत सिकीलधे हो जो दूर-दूर से बाप ने चुन लिया। भारत छोड़ करके भी गये लेकिन भारत के बाप ने नहीं छोड़ा। न्यूजीलैण्ड की फुलवाड़ी भी बहुत खिली हुई है।

ट्रिनीडाड पार्टी:- बापदादा सदा बच्चों में क्या विशेषता देखते हैं? बापदादा हरेक बच्चे को देख बच्चे में उनकी 21 जन्मों की प्रालब्ध को देखते हैं। क्या थे, क्या बने हैं और क्या बनने वाले हैं। तीनों काल देखते हुए भविष्य कितना श्रेष्ठ है, उसको देखकर हर्षित होते हैं। आप हरेक भी अपनी प्रालब्ध को समझकर, अनुभव कर हर्षित होते हो? अपनी प्रालब्ध इतनी स्पष्ट है कि आज हम यह हैं, कल यह बनने वाले हैं। यह तो अवश्य है, जब बाप का बन गये तो बाप का बनना अर्थात् ब्राह्मण बनना। ब्राह्मण सो देवता भी अवश्य बनेंगे। बाकी देवता में भी क्या पद मिलना है, वह है हरेक के अपने पुरूषार्थ पर।

अभी तो सेवा के अनेक साधन हैं। वाचा के साथ-साथ एक स्थान पर बैठे हुए भी विश्व की सेवा कर सकते हो। मन्सा सेवा का भी बहुत अच्छा चान्स है। सारा दिन कोई न कोई प्रकार से सेवा में बिजी रहो। मधुबन में रिफ्रेश होना अर्थात् सेवा के लिए निमित्त बन करके सेवाधारी बनकर सेवा का चान्स लेना। सेवा करने के पहले जो निमित्त बने हुए सेवाधारी हैं। उन्हों से सम्पर्क रखते हुए आगे बढ़ते चलो तो सफलता मिलती जायेगी। अभी देखेंगे कितने सेन्टर खोलकर आते हो। बुलेटिन में निकलेगा कि कितने नये सेवाकेन्द्र खोले।

सदा यही स्मृति रहे कि हम सब रूहानी सोशल वर्कर सभी को भटकने से छुड़ाने वाले हैं। अनेक आत्मायें भटक रही हैं तो भटकती हुई आत्माओं को देख तरस आता है ना? जैसे अपनी पास्ट लाइफ को देखकर समझते हो कितना भटके हैं, कितने जन्मों से भटके हैं, अपने अनुभव के आधार से और ही ज्यादा तरस पड़ना चाहिए। तो सदा अपने अन्दर प्लैन बनाते रहो कि इन आत्माओं को भटकने से कैसे छुड़ायें। रोज नई-नई प्वाइन्ट सोचो। कौन-सी ऐसी प्वाइन्ट दें जो जल्दी से परिवर्तन हो जाए। अब भक्तों को भक्ति का फल दिलाओ। सदा बाप से मिलने के सहज रास्ते सोचते रहो। यही मनन चलता रहे।

अमेरिका पार्टी:- सदा अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहते हो? बापदादा के सिकीलधे बच्चे हो, तो सिकीलधे बच्चों को माँ-बाप सदा ऐसे स्थान पर बिठाते हैं जहाँ कोई भी तकलीफ न हो। बापदादा ने आप सिकीलधे बच्चों को कौन सा स्थान बैठने के लिए दिया है? दिलतख्त, यह दिलतख्त कितना बड़ा है। इस तख्त पर बैठकर जो चाहो वह कर सकते हो, तो सदा तख्तनशीन रहो, नीचे नहीं आओ। जैसे फॉरेन में जहाँ-तहाँ गलीचे लगा देते हैं कि मिट्टी न लगे। बापदादा भी कहते हैं कि देहभान की मिट्टी में मैले न हो जाए इसलिए सदा दिलतख्तनशीन रहो। जो अभी तख्तनशीन होंगे वही भविष्य में भी तख्तनशीन बनेंगे। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन रहते हैं या उतरते चढ़ते हैं? तख्त पर बैठने के अधिकारी भी कौन बनते? जो सदा डबल लाइट रूप में रहते हैं। अगर जरा भी भारीपन आया तो तख्त से नीचे आ जायेंगे। तख्त से नीचे आये तो माया से सामना करना पड़ेगा। तख्तनशीन हैं तो माया नमस्कार करेगी। बापदादा द्वारा बुद्धि के लिए जो रोज़ शक्तिशाली भोजन मिलता है, उसे हजम करते रहो तो कभी भी कमजोरी आ नहीं सकती। माया का वार हो नहीं सकता। अच्छा।
वरदान:
अलौकिक नशे की अनुभूति द्वारा निश्चय का प्रमाण देने वाले सदा विजयी भव!  
अलौकिक रूहानी नशा निश्चय का दर्पण है। निश्चय का प्रमाण है नशा और नशे का प्रमाण है खुशी। जो सदा खुशी और नशे में रहते हैं उनके सामने माया की कोई भी चाल चल नहीं सकती। बेफिक्र बादशाह की बादशाही के अन्दर माया आ नहीं सकती। अलौकिक नशा सहज ही पुराने संसार वा पुराने संस्कार भुला देता है इसलिए सदा आत्मिक स्वरूप के नशे में, अलौकिक जीवन के नशे में, फरिश्ते पन के नशे में या भविष्य के नशे में रहो तो विजयी बन जायेंगे।
स्लोगन:
मधुरता का गुण ही ब्राह्मण जीवन की महानता है, इसलिए मधुर बनो और मधुर बनाओ।