Sunday, December 27, 2015

मुरली 27 दिसंबर 2015

27-12-15 प्रातःमुरली ओम् शान्ति अव्यक्त-बापदादा रिवाइजः 15-03-99 मधुबन

"कर्मातीत अवस्था तक पहुंचने के लिए कन्ट्रोलिंग पावर को बढ़ाओ, स्वराज्य अधिकारी बनो"
आज बापदादा चारों ओर के अपने राज दुलारे परमात्म प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। यह परमात्म दुलार वा परमात्म प्यार बहुत थोड़े बच्चों को प्राप्त होता है। बहुत थोड़े ऐसे भाग्य के अधिकारी बनते हैं। ऐसे भाग्यवान बच्चों को देख बापदादा भी हर्षित होते हैं। राज दुलारे अर्थात् राजा बच्चे। तो अपने को राजा समझते हो? नाम ही है राजयोगी। तो राजयोगी अर्थात् राजे बच्चे। वर्तमान समय भी राजे हो और भविष्य में भी राजे हो। अपना डबल राज्य पद अनुभव करते हो ना? अपने आपको देखो कि मैं राजा हूँ? स्वराज्य अधिकारी हूँ? हर एक राज्य-कारोबारी आपके आर्डर में कार्य कर रहे हैं? राजा की विशेषता क्या होती है, वह तो जानते हो ना? रूलिंग पावर और कन्ट्रोलिंग पावर दोनों पावर आपके पास हैं? अपने आपसे पूछो कि राज्य कारोबारी सदा कन्ट्रोल में चल रहे हैं?

बापदादा आज बच्चों की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर चेक कर रहे थे, तो बताओ क्या देखा होगा? हर एक जानते तो हैं। बापदादा ने देखा कि अभी भी अखण्ड राज्य अधिकार सभी का नहीं है। अखण्ड, बीच-बीच में खण्डित होता है। क्यों? सदा स्वराज्य के बदले पर राज्य भी खण्डित कर देता है। पर राज्य की निशानी है - यह कर्मेन्द्रियां पर-अधीन हो जाती हैं। माया के राज्य का प्रभाव अर्थात् पर-अधीन बनाना। वर्तमान समय मैनारिटी तो ठीक हैं लेकिन मैजारिटी माया के वर्तमान समय के विशेष प्रभाव में आ जाते हैं। जो आदि अनादि संस्कार हैं उसके बीच-बीच में मध्य के अर्थात् द्वापर से अभी अन्त तक के संस्कार के प्रभाव में आ जाते हैं। स्व के संस्कार ही स्वराज्य को खण्डित कर देते हैं। उसमें भी विशेष संस्कार व्यर्थ सोचना, व्यर्थ समय गँवाना और व्यर्थ बोल-चाल में आना, चाहे सुनना, चाहे सुनाना। एक तरफ व्यर्थ के संस्कार, दूसरे तरफ अलबेलेपन के संस्कार भिन्न-भिन्न रॉयल रूप में स्वराज्य को खण्डित कर देते हैं। कई बच्चे कहते हैं कि समय समीप आ रहा है लेकिन जो संस्कार शुरू में इमर्ज नहीं थे, वह अभी कहाँ-कहाँ इमर्ज हो रहे हैं। वायुमण्डल में संस्कार और इमर्ज हो रहे हैं, इसका कारण क्या? यह माया के वार का एक साधन है। माया इसी से अपना बनाकर परमात्म मार्ग से दिलशिकस्त बना देती है। सोचते हैं कि अभी तक ऐसे ही है तो पता नहीं समानता की सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी! कोई न कोई बात में जहाँ कमजोरी होगी, उसी कमजोरी के रूप में माया दिलशिकस्त बनाने की कोशिश करती है। बहुत अच्छा चलते-चलते कोई न कोई बात में माया संस्कार पर अटैक कर, पुराने संस्कार इमर्ज करने का रूप रखकर दिलशिकस्त करने की कोशिश करती है। लास्ट में सब संस्कार समाप्त होने हैं इसलिए कभी-कभी रहे हुए संस्कार इमर्ज हो जाते हैं। लेकिन बापदादा आप सभी भाग्यवान बच्चों को इशारा दे रहे हैं - घबराओ नहीं, माया की चाल को समझ जाओ। आलस्य और व्यर्थ - इसमें निगेटिव भी आ जाता है - इन दोनों बातों पर विशेष अटेन्शन रखो। समझ जाओ कि यह माया का वर्तमान समय वार करने का साधन है।

बाप के साथ का अनुभव, कम्बाइन्ड-पन का अनुभव इमर्ज करो। ऐसे नहीं कि बाप तो है ही मेरा, साथ है ही है। साथ का प्रैक्टिकल अनुभव इमर्ज हो। तो यह माया का वार, वार नहीं होगा, माया हार खा लेगी। यह माया की हार है, वार नहीं है। सिर्फ घबराओ नहीं, क्या हो गया, क्यों हो गया! हिम्मत रखो, बाप के साथ को स्मृति में रखो। चेक करो कि बाप का साथ है? साथ का अनुभव मर्ज रूप में तो नहीं है? नॉलेज है कि बाप साथ है, नॉलेज के साथ-साथ बाप की पावर क्या है? ऑलमाइटी अथॉरिटी है तो सर्व शक्तियों की पावर इमर्ज रूप में अनुभव करो। इसको कहा जाता है बाप के साथ का अनुभव होना। अलबेले नहीं बन जाओ– बाप के सिवाए और है ही कौन, बाप ही तो है। जब बाप ही है तो वह पावर है? जैसे दुनिया वालों को कहते हो अगर परमात्मा व्यापक है तो परमात्म गुण अनुभव होने चाहिए, दिखाई देने चाहिए। तो बापदादा भी आपको पूछते हैं कि अगर बाप साथ है, कम्बाइन्ड है तो वह पावर हर कर्म में अनुभव होती है? दूसरों को भी अनुभव होती है? क्या समझते हो? डबल फारेनर्स क्या समझते हो? पावर है? सदा है? पहले क्वेश्चन में तो सब हाँ कर देते हैं। फिर जब दूसरा क्वेश्चन आता है, सदा है? तो सोच में पड़ जाते हैं। तो अखण्ड तो नहीं हुआ ना! आप चैलेन्ज क्या करते हो? अखण्ड राज्य स्थापन कर रहे हो या खण्डित राज्य स्थापन कर रहे हो? क्या कर रहे हो? अखण्ड है ना! टीचर्स बोलो अखण्ड है? तो अभी चेक करो अखण्ड स्वराज्य है? राज्य अर्थात् प्रालब्ध सदा का लेना है या बीच-बीच में कट हो जाए तो कोई हर्जा नहीं? ऐसे चाहते हो? लेने में तो सदा चाहिए और पुरुषार्थ में कभी-कभी चलता है, ऐसे? फारेनर्स को कहा था ना कि अपने जीवन की डिक्शनरी से समटाइम और समथिंग शब्द निकाल दो। अभी समटाइम खत्म हुआ? जयन्ती बोलो। रिजल्ट देंगी ना। तो समटाइम खत्म है? जो समझते हैं, समटाइम शब्द सदा के लिए समाप्त हो गया, वह हाथ उठाओ। खत्म हो गया या खत्म होगा? लम्बा हाथ उठाओ। वतन की टी.वी. में तो आपके हाथ आ गये, यहाँ की टी.वी. में सभी के नहीं आते। यह कलियुगी टी.वी. है ना, वहाँ जादू की टी.वी. है इसलिए आ जाता है। बहुत अच्छा फिर भी बहुतों ने उठाया है, उन्हों को सदाकाल की मुबारक हो। अच्छा। अभी भारतवासी जिसका प्रैक्टिकल सदाकाल स्वराज्य है, सर्व कर्मेन्द्रियां लॉ और आर्डर में हैं, वह हाथ उठाओ। पक्का हाथ उठाना, कच्चा नहीं। सदा याद रखना कि सभा में हाथ उठाया है। फिर बापदादा को बातें बहुत मीठी-मीठी बताते हैं। कहते हैं बाबा आप तो जानते हो ना, कभी-कभी माया आ जाती है ना! तो अपने हाथ की लाज़ रखना। अच्छा है। फिर भी हिम्मत रखी है तो हिम्मत नहीं हारना। हिम्मत पर बापदादा की मदद है ही है।

आज बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय के अनुसार अपने ऊपर, हर कर्मेन्द्रियों के ऊपर अर्थात् स्वयं की स्वयं प्रति जो कन्ट्रोलिंग पावर होनी चाहिए वह कम है, वह और ज्यादा चाहिए। बापदादा बच्चों की रूहरिहान सुन मुस्करा रहे थे, बच्चे कहते हैं कि पावरफुल याद के चार घण्टे होते नहीं हैं। बापदादा ने आठ घण्टे से 4 घण्टा किया और बच्चे कहते हैं दो घण्टा ठीक है। तो बताओ कन्ट्रोलिंग पावर हुई? और अभी से अगर यह अभ्यास नहीं होगा तो समय पर पास विद आनर, राज्य अधिकारी कैसे बन सकेंगे! बनना तो है ना? बच्चे हँसते हैं। आज बापदादा ने बच्चों की बातें बहुत सुनी हैं। बापदादा को हँसाते भी हैं, कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है, खड़े हो जाते हैं, नाम है मन के कन्ट्रोल का लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। कारण क्या है? कन्ट्रोलिंग पावर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है। आर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। ऑर्डर करो - स्टॉप तो स्टॉप हो जाए। सेवा का सोचो, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह आर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढ़ाओ। छोटे-छोटे संस्कारों में, युद्ध में समय नहीं गंवाओ, आज इस संस्कार को भगाया, कल उसको भगाया। कन्ट्रोलिंग पावर धारण करो तो अलग-अलग संस्कार पर टाइम नहीं लगाना पड़ेगा। नहीं सोचना है, नहीं करना है, नहीं बोलना है। स्टॉप। तो स्टॉप हो जाए। यह है कर्मातीत अवस्था तक पहुंचने की विधि। तो कर्मातीत बनना है ना? बापदादा भी कहते हैं आप को ही बनना है। और कोई नहीं आयेंगे, आप ही हो। आपको ही साथ में ले जायेंगे लेकिन कर्मातीत को ले जायेंगे ना। साथ चलेंगे या पीछे-पीछे आयेंगे? (साथ चलेंगे) यह तो बहुत अच्छा बोला। साथ चलेंगे, हिसाब चुक्तू करेंगे? इसमें हाँ जी नहीं बोला। कर्मातीत बनके साथ चलेंगे ना। साथ चलना अर्थात् साथी बनकर चलना। जोड़ी तो अच्छी चाहिए या लम्बी और छोटी? समान चाहिए ना! तो कर्मातीत बनना ही है। तो क्या करेंगे? अभी अपना राज्य अच्छी तरह से सम्भालो। रोज अपनी दरबार लगाओ। राज्य अधिकारी हो ना! तो अपनी दरबार लगाओ, कर्मचारियों से हालचाल पूछो। चेक करो ऑडर में हैं? ब्रह्मा बाप ने भी रोज़ दरबार लगाई है। कापी है ना। इन्हों को बताना, दिखाना। ब्रह्मा बाप ने भी मेहनत की, रोज़ दरबार लगाई तब कर्मातीत बनें। तो अभी कितना टाइम चाहिए? या एवररेडी हो? इस अवस्था से सेवा भी फास्ट होगी। क्यों? एक ही समय पर मन्सा शक्तिशाली, वाचा शक्तिशाली, संबंध-सम्पर्क में चाल और चेहरा शक्तिशाली। एक ही समय पर तीनों सेवा बहुत फास्ट रिजल्ट निकालेगी। ऐसे नहीं समझो कि इस साधना में सेवा कम होगी, नहीं। सफलता सहज अनुभव होगी। और सभी जो भी सेवा के निमित्त हैं अगर संगठित रूप में ऐसी स्टेज बनाते हैं तो मेहनत कम और सफलता ज्यादा होगी। तो विशेष अटेन्शन कन्ट्रोलिंग पावर को बढ़ाओ। संकल्प, समय, संस्कार सब पर कन्ट्रोल हो। बहुत बार बापदादा ने कहा है - आप सब राजे हो। जब चाहो जैसे चाहो, जहाँ चाहो, जितना समय चाहो ऐसा मन बुद्धि लॉ और आर्डर में हो। आप कहो नहीं करना है, और फिर भी हो रहा है, कर रहे हैं तो यह लॉ और आर्डर नहीं है। तो स्वराज्य अधिकारी अपने राज्य को सदा प्रत्यक्ष स्वरूप में लाओ। लाना है ना? ला भी रहे हैं लेकिन बापदादा ने कहा ना - सदा शब्द एड करो। बापदादा अभी लास्ट में आयेंगे, अभी एक टर्न है। एक टर्न में रिजल्ट पूछेंगे। 15 दिन होते हैं ना। तो 15 दिन में कुछ तो दिखायेंगे या नहीं? टीचर्स बोलो, 15 दिन में रिजल्ट होगी?

अच्छा - मधुबन वाले 15 दिन में रिजल्ट दिखायेंगे। अभी कहो हाँ या ना! अभी हाथ उठाओ। (सभी ने हाथ उठाया) अपने हाथ की लाज़ रखना। जो समझते हैं कोशिश करेंगे, ऐसे कोशिश वाले हाथ उठाओ। ज्ञान सरोवर, शान्तिवन वाले उठो। (बापदादा ने मधुबन, ज्ञानसरोवर, शान्तिवन के मुख्य निमित्त भाई बहिनों को सामने बुलाया)

बापदादा ने तो आप सबका साक्षात्कार कराने के लिए बुलाया है। आप लोगों को देखकर सभी खुश होते हैं। अभी बापदादा चाहते क्या हैं, वह बता रहे हैं। चाहे पाण्डव भवन, चाहे शान्तिवन, चाहे ज्ञान सरोवर, चाहे हॉस्पिटल चार धाम तो हैं। पांचवा छोटा है। चारों में ही बापदादा की एक आश है– बापदादा तीन मास के लिए चारों धाम में अखण्ड, निर्विघ्न, अटल स्वराज्यधारी, राजाओं का रिजल्ट देखने चाहते हैं। तीन मास यहाँ वहाँ से कोई भी और बातें नहीं सुनने में आवें। सब स्वराज्य अधिकारी नम्बरवन, क्या तीन मास की ऐसी रिजल्ट हो सकती है? (निर्वैर भाई से) - पाण्डवों की तरफ से आप हो। हो सकता है? दादी तो है लेकिन साथ में यह जो सामने बैठे हैं, सब हैं। तो हो सकता है? (दादी कहती है हो सकता है।) जो पाण्डव भवन वाले बैठे हैं वह हाथ उठाओ, हो सकता है। अच्छा मानो कोई कमजोर है, उसका कुछ हो जाता है फिर आप क्या करेंगे? आप समझते हो कि साथ वालों को भी साथ देते हुए रिजल्ट निकालेंगे, इतनी हिम्मत रखते हो? हो सकता है या सिर्फ अपनी हिम्मत है? दूसरों की बात को भी समा सकते हो? उसकी गलती समा सकते हो? वायुमण्डल में फैलाओ नहीं, समा दो, इतना कर सकते हो? जोर से बोलो हाँ जी। मुबारक हो। 3 मास के बाद रिपोर्ट देखेंगे। किसी भी स्थान से कोई भी रिपोर्ट नहीं निकलनी चाहिए। एक दो को वायब्रेशन दे समा देना और प्यार से वायब्रेशन देना। झगड़ा नहीं हो।

ऐसे ही डबल विदेशी भी रिजल्ट देंगे ना। सभी को बनना है ना। डबल विदेशी जो समझते हैं अपने सेन्टर पर, साथियों के साथ 3 मास की रिजल्ट निकालेंगे, वह हाथ उठाओ। जो समझते हैं कोशिश करेंगे, कह नहीं सकते, वह कोई हैं तो हाथ उठा लो। साफ दिल हैं, साफ दिल वालों को मदद मिलती है। अच्छा। अच्छा - चारों ओर के सर्व स्वराज्य अधिकारी आत्माओं को, सदा अखण्ड राज्य के पात्र आत्माओं को, सदा बाप के समान कर्मातीत स्थिति में पहुंचने वाले, बाप को फालो करने वाले तीव्र पुरुषार्थी आत्माओं को, सदा एक दो को शुभ भावना, शुभ कामना का सहयोग देने वाले शुभचिंतक बच्चों को यादप्यार और नमस्ते।

दादियों सेः- आप निमित्त बनी हुई आत्माओं के अन्दर जो तीव्र पुरुषार्थ का संकल्प इमर्ज रहता है वह औरों को भी बल देकर चला रहा है। दिलशिकस्त आत्माओं में बल भर रहा है। और सभी नया उमंग लेकर जाते हैं। चाहे कुछ भी हो, थोड़ी बहुत खिटपिट तो होती है परन्तु अपने पुरुषार्थ का उमंग मैजारिटी ले जाते हैं। इसलिए धीरे-धीरे सब ठीक हो रहा है, हो जायेगा। कम नहीं होगा, बढता जायेगा। अच्छा है बापदादा को नाज़ है कि ब्रह्मा बाप के साथी बच्चे अच्छा साथ निभा रहे हैं। कम नहीं हैं। साथ निभाने में अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। तो बाप-दादा दोनों ही अपने साथ निभाने वाले साथी बच्चों को बार-बार मुबारक क्या देंगे, दुआयें देते रहते हैं। अच्छा पार्ट बजा रहे हो। साकार में स्तम्भ बन गये हैं, जिसके आधार पर सब आगे चल रहे हैं इसलिए आप लोगों को सहज पुरुषार्थ है, दुआओं से आपका खाता बहुत-बहुत बढ रहा है। अच्छा है।
वरदान:
रूहानी शक्ति को हर कर्म में यूज करने वाले युक्तियुक्त जीवनमुक्त भव!  
इस ब्राह्मण जीवन की विशेषता है ही रूहानियत। रुहानियत की शक्ति से ही स्वयं को वा सर्व को परिवर्तन कर सकते हो। इस शक्ति से अनेक प्रकार के जिस्मानी बन्धनों से मुक्ति मिलती है। लेकिन युक्तियुक्त बन हर कर्म में लूज़ होने के बजाए, रूहानी शक्ति को यूज़ करो। मन्सा-वाचा और कर्मणा तीनों में साथ-साथ रूहानियत की शक्ति का अनुभव हो। जो तीनों में युक्तियुक्त हैं वो ही जीवनमुक्त हैं।
स्लोगन:
सत्यता की विशेषता द्वारा खुशी और शक्ति की अनुभूति करते चलो।