ही माया पर जीत पाकर जगतजीत बन सकते हो”
प्रश्न :- बाप का पार्ट क्या है, उस पार्ट को तुम बच्चों ने किस आधार पर जाना है?
उत्तर :- बाप का पार्ट है-सबके दु:ख हरकर सुख देना, रावण की जंजीरों से छुड़ाना। जब बाप आते
हैं तो भक्ति की रात पूरी होती है। बाप तुम्हें स्वयं अपना और अपनी जायदाद का परिचय देते हैं।
तुम एक बाप को जानने से ही सब कुछ जान जाते हो।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो........
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कलियुगी सर्व कर्मबन्धनों को बुद्धि से भूल 5 विकारों का दान कर आत्मा को सतोप्रधान
बनाना है। एक ही साइलेन्स के शुद्ध घमण्ड में रहना है।
2) इस रूद्र यज्ञ में खुशी से अपना तन-मन-धन सब अर्पण कर सफल करना है। इस समय सब
कुछ बाप हवाले कर 21 जन्मों की बादशाही बाप से ले लेनी है।
वरदान:- अपनी शुभ भावना द्वारा निर्बल आत्माओं में बल भरने वाले सदा शक्ति स्वरूप भव
सेवाधारी बच्चों की विशेष सेवा है-स्वयं शक्ति स्वरूप रहना और सर्व को शक्ति स्वरूप बनाना
अर्थात् निर्बल आत्माओं में बल भरना। इसके लिए सदा शुभ भावना और श्रेष्ठ कामना स्वरूप
बनो। शुभ भावना का अर्थ यह नहीं कि किसी में भावना रखते-रखते उसके भाववान हो जाओ।
यह गलती नहीं करना। शुभ भावना भी बेहद की हो। एक के प्रति विशेष भावना भी नुकसानकारक
है इसलिए बेहद में स्थित हो निर्बल आत्माओं को अपनी प्राप्त हुई शक्तियों के आधार से शक्ति
स्वरूप बनाओ।
स्लोगन:- अलंकार ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार हैं-इसलिए अलंकारी बनो देह अहंकारी नहीं।