Saturday, March 7, 2015

मुरली 07 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - तुम बहुत लकी हो क्योंकि तुम्हें बाप की याद के सिवाए और कोई फिकरात नहीं, इस बाप को तो फिर भी बहुत ख्यालात चलते हैं” प्रश्न:- बाप के पास जो सपूत बच्चे हैं, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- वे सभी का बुद्धियोग एक बाप से जुड़ाते रहेंगे, सर्विसस्बुल होंगे । अच्छी रीति पढ़कर औरों को पढ़ाएंगे । बाप की दिल पर चढ़े हुए होंगे । ऐसे सपूत बच्चे ही बाप का नाम बाला करते हैं । जो पूरा पढ़ते नहीं वह औरों को भी खराब करते हैं । यह भी ड्रामा में नूँध है । गीत:- ले लो दुआयें माँ-बाप की .. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. झरमुई झगमुई (परचिंतन) के वार्तालाप से वातावरण खराब नहीं करना है । एकान्त में बैठ सच्चे-सच्चे आशिक बन अपने माशूक को याद करना है । 2. अपने आप से प्रतिज्ञा करनी है कि कभी भी रोयेंगे नहीं । आँखों से आंसू नहीं बहायेंगे । जो सर्विसएबुल, बाप की दिल पर चढ़े हुए हैं उनका ही संग करना है । अपना रजिस्टर बहुत अच्छा रखना है । वरदान:- देह भान का त्याग कर निक्रोधी बनने वाले निर्मानचित्त भव ! जो बच्चे देह भान का त्याग करते हैं उन्हें कभी भी क्रोध नहीं आ सकता क्योंकि क्रोध आने के दो कारण होते हैं एक - जब कोई झूठी बात कहता है और दूसरा जब कोई ग्लानी करता है । यही दो बातें क्रोध को जन्म देती हैं । ऐसी परिस्थिति में निर्मानचित्त के वरदान द्वारा अपकारी पर भी उपकार करो, गाली देने वाले को गले लगाओ, निंदा करने वाले को सच्चा मित्र मानो - तब कहेंगे कमाल । जब ऐसा परिवर्तन दिखाओ तब विश्व के आगे प्रसिद्ध होंगे | स्लोगन:- मौज का अनुभव करने के लिए माया की अधीनता को छोड़ स्वतन्त्र बनो । ओम् शान्ति |