Sunday, March 22, 2015

मुरली 23 मार्च 2015

“मीठे बच्चे - तुम्हारा चेहरा सदा खुशनुम: चाहिए ‘हमें भगवान पढ़ाते हैं’, यह खुशी चेहरे से झलकनी चाहिए” प्रश्न:- अभी तुम बच्चों का मुख्य पुरूषार्थ क्या है? उत्तर:- तुम सजाओं से छूटने का ही पुरूषार्थ करते रहते हो। उसके लिए मुख्य है याद की यात्रा, जिससे ही विकर्म विनाश होते हैं। तुम प्यार से याद करो तो बहुत कमाई जमा होती जायेगी। सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठने से पुरानी दुनिया भूलती जायेगी। ज्ञान की बातें बुद्धि में आती रहेंगी। तुम बच्चों को मुख से कोई किचड़-पट्टी की बातें नहीं बोलनी हैं। गीत:- तुम्हें पाके हमने........ धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) कितना भी कोई प्यारा सम्बन्धी हो उसमें मोह की रग नहीं जानी चाहिए। नष्टोमोहा बनना है। युक्ति से समझाना है। अपने ऊपर और दूसरों पर रहम करना है। 2) बाप और टीचर को बहुत प्यार से याद करना है। नशा रहे भगवान हमको पढ़ाते हैं, विश्व की बादशाही देते हैं! घूमते फिरते याद में रहना है, झरमुई, झगमुई नहीं करना है। वरदान:- सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण अपना सहयोगी बनाने वाले प्रकृति जीत भव! सबसे बड़े ते बड़ी दासी प्रकृति है। जो बच्चे प्रकृतिजीत बनने का वरदान प्राप्त कर लेते हैं उनके आर्डर प्रमाण सर्व शक्तियां और प्रकृति रूपी दासी कार्य करती है अर्थात् समय पर सहयोग देती हैं। लेकिन यदि प्रकृतिजीत बनने के बजाए अलबेलेपन की नींद में व अल्पकाल की प्राप्ति के नशे में व व्यर्थ संकल्पों के नाच में मस्त होकर अपना समय गंवाते हो तो शक्तियां आर्डर पर कार्य नहीं कर सकती, इसलिए चेक करो कि पहले मुख्य संकल्प शक्ति, निर्णय शक्ति और संस्कार की शक्ति तीनों ही आर्डर में हैं? स्लोगन:- बापदादा के गुण गाते रहो तो स्वयं भी गुणमूर्त बन जायेंगे। ओम् शांति