मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - आपस में एक दो का रिगार्ड रखना है, अपने को मिया मिट्ठू नहीं समझना है, बुद्धि में रहे जो कर्म मैं करूँगा, मुझे देखकर सब करेंगे''
प्रश्न: कौन सी अवस्था जमाने के लिए बहुत-बहुत मेहनत करनी है?
उत्तर: गृहस्थ व्यवहार में रहते स्त्री पुरूष का भान समाप्त हो जाए, मन्सा में भी संकल्प विकल्प न चलें। हम आत्मा भाई-भाई हैं। प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे भाई-बहिन हैं, यह अवस्था जमाने में टाइम लगता है। साथ में रहते विकारों की आग न लगे। क्रिमिनल एसाल्ट न हो, इसका अभ्यास करना है। मात-पिता जो सर्व सम्बन्धों की सैक्रीन है, उसे याद करना है।
गीत:- बदल जाये दुनिया न बदलेंगे हम....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) एक दो का हाथ पकड़, सहयोगी बन बाप की श्रीमत पर चलते रहना है। बाप जो सर्व सम्बन्धों की सैक्रीन है, उसे बड़े प्यार से याद करना है।
2) जैसे बाप हर बच्चे को रिगार्ड देते हैं, ऐसे फॉलो करना है। अपने बड़ों को रिगार्ड जरूर देना है।
वरदान: अपने स्नेह के शीतल स्वरूप द्वारा विकराल ज्वाला रूप को भी परिवर्तन करने वाले स्नेहीमूर्त भव
स्नेह के रिटर्न में वरदाता बाप बच्चों को यही वरदान देते हैं कि ''सदा हर समय, हर एक आत्मा से, हर परिस्थिति में स्नेही मूर्त भव।'' कभी भी अपनी स्नेही मूर्त, स्नेह की सीरत, स्नेही व्यवहार, स्नेह के सम्पर्क-सम्बन्ध को छोड़ना, भूलना मत। चाहे कोई व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे माया कैसा भी विकराल रूप, ज्वाला रूप धारण कर सामने आये लेकिन उसे सदा स्नेह की शीतलता द्वारा परिवर्तन करते रहना। स्नेह की दृष्टि, वृत्ति और कृति द्वारा स्नेही सृष्टि बनाना।
स्लोगन: कठिनाईयों को पार करने से ताकत आती है इसलिए उनसे घबराओ मत।
प्रश्न: कौन सी अवस्था जमाने के लिए बहुत-बहुत मेहनत करनी है?
उत्तर: गृहस्थ व्यवहार में रहते स्त्री पुरूष का भान समाप्त हो जाए, मन्सा में भी संकल्प विकल्प न चलें। हम आत्मा भाई-भाई हैं। प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे भाई-बहिन हैं, यह अवस्था जमाने में टाइम लगता है। साथ में रहते विकारों की आग न लगे। क्रिमिनल एसाल्ट न हो, इसका अभ्यास करना है। मात-पिता जो सर्व सम्बन्धों की सैक्रीन है, उसे याद करना है।
गीत:- बदल जाये दुनिया न बदलेंगे हम....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) एक दो का हाथ पकड़, सहयोगी बन बाप की श्रीमत पर चलते रहना है। बाप जो सर्व सम्बन्धों की सैक्रीन है, उसे बड़े प्यार से याद करना है।
2) जैसे बाप हर बच्चे को रिगार्ड देते हैं, ऐसे फॉलो करना है। अपने बड़ों को रिगार्ड जरूर देना है।
वरदान: अपने स्नेह के शीतल स्वरूप द्वारा विकराल ज्वाला रूप को भी परिवर्तन करने वाले स्नेहीमूर्त भव
स्नेह के रिटर्न में वरदाता बाप बच्चों को यही वरदान देते हैं कि ''सदा हर समय, हर एक आत्मा से, हर परिस्थिति में स्नेही मूर्त भव।'' कभी भी अपनी स्नेही मूर्त, स्नेह की सीरत, स्नेही व्यवहार, स्नेह के सम्पर्क-सम्बन्ध को छोड़ना, भूलना मत। चाहे कोई व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे माया कैसा भी विकराल रूप, ज्वाला रूप धारण कर सामने आये लेकिन उसे सदा स्नेह की शीतलता द्वारा परिवर्तन करते रहना। स्नेह की दृष्टि, वृत्ति और कृति द्वारा स्नेही सृष्टि बनाना।
स्लोगन: कठिनाईयों को पार करने से ताकत आती है इसलिए उनसे घबराओ मत।