Monday, October 8, 2012

Murli [8-10-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - हीरे जैसा जीवन बनाने वाले बाप को बहुत खुशी-खुशी से याद करो तो जंक निकल जायेगी'' 
प्रश्न: माला का दाना कौन बनेंगे, उसका पुरुषार्थ क्या है? 
उत्तर: माला का दाना वही बनेंगे जिसे अन्त में कुछ भी याद न पड़े। ऐसे बच्चे जो कर्मातीत अवस्था को पायेंगे वही माला का दाना बनेंगे। कोई बहुत धनवान हैं, अनेक कारखाने आदि हैं... तो वह सब भूलना पड़े। किसी मे भी ममत्व न रहे। मेरा-मेरा न हो। बस यह भाई (आत्मा) है, यही रूहानी कनेक्शन है और कोई कनेक्शन नहीं। ऐसे रूहानी कनेक्शन रखने वाले, सब कुछ भूलने वाले बच्चे ही माला में आ सकते हैं। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) ऊंच पद पाने के लिए बहुत-बहुत शान्तचित रहना है, मीठा बनना है, सबके साथ प्यार से चलना है।
2) जो कुछ बाबा को अर्पण कर दिया, उसे भूल जाना है, उसकी याद भी न आये। कभी यह संकल्प भी न आये कि हम बाबा को देते हैं। 
वरदान: भुजाओं में समाने और भुजायें बन सेवा करने वाले ब्रह्मा बाप के स्नेही भव 
जो बच्चे बाप स्नेही हैं वह सदा ब्रह्मा बाप की भुजाओं में समाये रहते हैं। यह ब्रह्मा बाप की भुजायें ही आप बच्चों की सेफ्टी का साधन हैं। जो प्यारे, स्नेही होते हैं वो सदा भुजाओं में होते हैं। तो सेवा में बापदादा की भुजायें हो और रहते हो बाप की भुजाओं में। इन दोनों दृश्यों का अनुभव करो - कभी भुजाओं में समा जाओ और कभी भुजायें बनकर सेवा करो। नशा रहे कि हम भगवान के राइट हैण्ड हैं। 
स्लोगन: सन्तुष्टता और प्रसन्नता की विशेषता ही उड़ती कला का अनुभव कराती है।