Wednesday, October 31, 2012

Murli [31-10-2012]-Hindi

''मुरली सार:- मीठे बच्चे - भारत जो साहूकार था वही अब गरीब बना है, बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं'' 
प्रश्न: तुम गोप-गोपियों में सबसे खुशनसीब कौन और कैसे? 
उत्तर: सबसे खुशनसीब वह हैं जो गॉडली ज्ञान डांस करते हैं, वही फिर सतयुग में जाकर प्रिन्स-प्रिन्सेज के साथ डांस करेंगे। ऐसे खुशनसीब बच्चे अभी बाप पर पूरा-पूरा बलि चढ़ते हैं, कहते हैं बाबा मैं तेरा, मेरा कुछ भी नहीं। आप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हो तो मैं क्यों नहीं बलिहार जाऊं। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सदा इस नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड और विश्व के मालिक बन रहे हैं। हम ब्राह्मण ही फिर देवता बनेंगे। 
2) अपनी अवस्था मजबूत बनानी है। मौत से भी डरना नहीं है। बाप की याद में रहना है। धारणा कर औरों की सर्विस करनी है। 
वरदान: विशेषता के संस्कारों को अपनी नेचर बनाए साधारणता को समाप्त करने वाले मरजीवा भव 
जैसे किसी की कोई भी नेचर होती है तो वह स्वत: ही अपना काम करती है। सोचना वा करना नहीं पड़ता। ऐसे विशेषता के संस्कार भी नेचर बन जाएं और हर एक के मुख से, मन से यही निकले कि इस विशेष आत्मा की नेचर ही विशेषता की है। साधारण कर्म की समाप्ति हो जाए तब कहेंगे मरजीवा। साधारणता से मर गये, विशेषता में जी रहे हैं। संकल्प में भी साधारणता न हो। 
स्लोगन: समर्थ आत्मा वह है जो किसी न किसी विधि से व्यर्थ को समाप्त कर दे।