मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – इस नापाक (पतित) भारत को पाक (पावन) बनाने की सेवा पर रहना है, विघ्नों को मिटाना है, दिलशिकस्त नहीं होना है”
प्रश्न:- गृहस्थ व्यवहार में रहते कौन सी स्मृति में रहना बहुत जरूरी है?
उत्तर:- गृहस्थ व्यवहार में रहते यह स्मृति रहे कि हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं। स्टूडेन्ट को पढ़ाई और टीचर सदा याद रहता है। वह कभी गफ़लत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करते, उन्हें समय का बहुत कदर रहता है।
प्रश्न:- मनुष्यों में सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान कौन सा है?
उत्तर:- जिसकी पूजा करते हैं उसे ही नाम रूप से न्यारा कह देते हैं – यह सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान है। पुकारते हैं, मन्दिर बनाकर पूजते हैं, तो भला वह नाम रूप से न्यारा कैसे हो सकता है। तुम्हें सबको परमात्मा का सत्य परिचय देना है।
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना…….
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अल्फ और बे को याद करने की सिम्पल पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। अव्यभिचारी याद में रहना है। इस झूठखण्ड को बुद्धि से भूल जाना है।
2) खुदाई खिदमतगार बन भारत को नापाक से पाक बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
वरदान:- योग के प्रयोग द्वारा हर खजाने को बढ़ाने वाले सफल तपस्वी भव
बाप द्वारा प्राप्त हुए सभी खजानों पर योग का प्रयोग करो। खजानों का खर्च कम हो और प्राप्ति अधिक हो – यही है प्रयोग। जैसे समय और संकल्प श्रेष्ठ खजाने हैं। तो संकल्प का खर्च कम हो लेकिन प्राप्ति ज्यादा हो। जो साधारण व्यक्ति दो चार मिनट सोचने के बाद सफलता प्राप्त करते हैं वह आप एक दो सेकण्ड में कर लो। कम समय, कम संकल्प में रिजल्ट ज्यादा हो तब कहेंगे – योग का प्रयोग करने वाले सफल तपस्वी।
स्लोगन:- अपने आदि अनादि संस्कार-स्वभाव को स्मृति में रख सदा अचल रहो।
प्रश्न:- गृहस्थ व्यवहार में रहते कौन सी स्मृति में रहना बहुत जरूरी है?
उत्तर:- गृहस्थ व्यवहार में रहते यह स्मृति रहे कि हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं। स्टूडेन्ट को पढ़ाई और टीचर सदा याद रहता है। वह कभी गफ़लत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करते, उन्हें समय का बहुत कदर रहता है।
प्रश्न:- मनुष्यों में सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान कौन सा है?
उत्तर:- जिसकी पूजा करते हैं उसे ही नाम रूप से न्यारा कह देते हैं – यह सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान है। पुकारते हैं, मन्दिर बनाकर पूजते हैं, तो भला वह नाम रूप से न्यारा कैसे हो सकता है। तुम्हें सबको परमात्मा का सत्य परिचय देना है।
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना…….
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अल्फ और बे को याद करने की सिम्पल पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। अव्यभिचारी याद में रहना है। इस झूठखण्ड को बुद्धि से भूल जाना है।
2) खुदाई खिदमतगार बन भारत को नापाक से पाक बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
वरदान:- योग के प्रयोग द्वारा हर खजाने को बढ़ाने वाले सफल तपस्वी भव
बाप द्वारा प्राप्त हुए सभी खजानों पर योग का प्रयोग करो। खजानों का खर्च कम हो और प्राप्ति अधिक हो – यही है प्रयोग। जैसे समय और संकल्प श्रेष्ठ खजाने हैं। तो संकल्प का खर्च कम हो लेकिन प्राप्ति ज्यादा हो। जो साधारण व्यक्ति दो चार मिनट सोचने के बाद सफलता प्राप्त करते हैं वह आप एक दो सेकण्ड में कर लो। कम समय, कम संकल्प में रिजल्ट ज्यादा हो तब कहेंगे – योग का प्रयोग करने वाले सफल तपस्वी।
स्लोगन:- अपने आदि अनादि संस्कार-स्वभाव को स्मृति में रख सदा अचल रहो।